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नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दंगों के मामलों की जांच में ‘ढीले ढाले रवैये’ के लिए पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और पुलिस आयुक्त को उचित, शीघ्र जांच सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिये।
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मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने दंगा करने के आरोप में गिरफ्तार दिनेश यादव के खिलाफ एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और पुलिस को तीन सप्ताह के भीतर मामले में पूरक आरोप पत्र दाखिल करने का आखिरी अवसर दिया।
अदालत ने कहा कि आरोपी लगभग एक साल से जेल में बंद है और पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और उससे ऊपर के रैंक तक के पर्यवेक्षण अधिकारियों सहित जांच एजेंसी के उदासीन रवैये के कारण वह दंगों के मामलों में गुण-दोष के आधार पर कार्यवाही आगे बढ़ाने में असमर्थ है।
न्यायाधीश ने छह सितंबर के आदेश में कहा है, ‘‘मैं इस आदेश की एक प्रति दिल्ली के पुलिस आयुक्त को कानून के अनुसार समुचित कार्रवाई करने के निर्देश के साथ भेजना उचित समझता हूं ताकि वर्तमान मामले के साथ-साथ दंगों के अन्य मामलों में समय सीमा के भीतर उचित और त्वरित जांच सुनिश्चित की जा सके।’’
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पिछले हफ्ते एक अन्य न्यायाधीश ने पुलिस की खिंचाई करते हुए कहा था कि उचित जांच करने में उनकी विफलता ‘‘लोकतंत्र के प्रहरी’’ को पीड़ा देगी, जब इतिहास, विभाजन के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में सबसे खराब सांप्रदायिक दंगों को पलटकर देखेगा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने मामले को करदाताओं की गाढ़ी कमाई की भारी बर्बादी करार देते हुए कहा था कि पुलिस ने केवल अदालत की आंखों पर पट्टी बांधने की कोशिश की और कुछ नहीं। एक अलग मामले में, न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के मामलों में बड़ी संख्या में जांच का मानक ‘‘बहुत खराब’’ है।
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