दिल्ली सेवा विवाद : न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली सरकार को दलीलें मिला कर दाखिल करने को कहा

दिल्ली सेवा विवाद : न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली सरकार को दलीलें मिला कर दाखिल करने को कहा

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  • Publish Date - September 27, 2023 / 02:43 PM IST,
    Updated On - September 27, 2023 / 02:43 PM IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण में निर्वाचित आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार की जगह उपराज्यपाल को वरीयता देने संबंधी केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर बुधवार को दोनों पक्षों को दलीलें मिला कर दाखिल करने का आदेश दिया।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने अनुरोध किया कि मामला तत्काल सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘मैं (दिल्ली) प्रशासन की पीड़ा व्यक्त नहीं सकता।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पुराने संविधान पीठ के मामले रहे हैं। हम सूचीबद्ध कर रहे हैं और सात-न्यायाधीशों की पीठ के दो मामले भी आ रहे हैं। ये सभी महत्वपूर्ण हैं और वर्षों से लंबित हैं।’’ उन्होंने कहा कि मामला कुछ समय बाद सूचीबद्ध किया जा सकता है।

पीठ ने सिंघवी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से एक साथ बैठने तथा सेवा विवाद में संविधान पीठ द्वारा तय किए जाने वाले कानूनी सवालों पर विचार करने को कहा।

पीठ ने कहा, ‘‘हम शादान फ़रासत को नोडल वकील नियुक्त करेंगे। हम उनसे कहेंगे कि दलीलों को मिला कर तैयार करें। यह चार सप्ताह में तैयार करें और फिर आप इसका (सूचीबद्ध करने का) जिक्र करें।’’

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 25 अगस्त को दिल्ली सरकार को सेवाओं के नियंत्रण में निर्वाचित सरकार की जगह उपराज्यपाल को वरीयता देने के केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली उसकी याचिका में संशोधन कर इसे अध्यादेश के बजाय कानून को चुनौती देने वाली याचिका में बदलने की अनुमति दी थी।

अध्यादेश की जगह कानून लाए जाने के कारण याचिका में संशोधन आवश्यक हो गया था।

पीठ ने सिंघवी की उस दलील पर गौर किया कि इससे पहले अध्यादेश को चुनौती दी गई थी जो संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया है।

पीठ ने कहा था, ‘‘सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसलिए संशोधन के लिए आवेदन को मंजूरी दी जाती है। अगर कोई जवाबी हलफनामा (केंद्र का जवाब) हो तो चार सप्ताह के भीतर दाखिल किया जा सकता है।’’

संसद ने अगस्त में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी, जिसे दिल्ली सेवा विधेयक भी कहा जाता है। इससे उपराज्यपाल को सेवा मामलों पर व्यापक अधिकार मिल गया। राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह विधेयक कानून बन गया।

केन्द्र सरकार ने ‘दानिक्स’ कैडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित करने के उद्देश्य से 19 मई को एक अध्यादेश जारी किया था।

यह अध्यादेश जारी किये जाने से महज एक सप्ताह पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा