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नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने बृहस्पतिवार को ईडी अधिकारियों से कहा कि वे धन शोधन के मामलों में “जल्दबाजी” में गिरफ्तारियां न करें क्योंकि इससे अदालतों में उन्हें अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हवाला कारोबारियों या अंगड़ियाओं को सूचना देने वाली इकाई के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने उन ग्राहकों के बारे में एजेंसी को सूचना प्रदान कर सकें जो भारी मात्रा में नकदी का लेन-देन करते हैं।
राजू ने कहा कि ये उपाय, किसी कंपनी और उसके निदेशकों को धन शोधन अपराध में उनकी “प्रतिनिधि जिम्मेदारी” स्थापित करने के लिए आरोपी बनाने जैसे अन्य उपायों के अलावा, एजेंसी के लिए बेहतर परिणाम और दोषसिद्धि प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राजू ने यहां “ईडी दिवस” के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “आपको गिरफ्तारी के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग उदारता से नहीं बल्कि संयम से करना चाहिए और आपको यह बहुत देर से करना चाहिए, न कि जांच के शुरुआती चरण में।”
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की स्थापना आज ही के दिन 1956 में हुई थी।
विभिन्न अदालतों में ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी विधि अधिकारी राजू ने कहा कि गिरफ्तारी का प्रावधान जांच करने वाली सभी एजेंसियों के लिए “बहुत महत्वपूर्ण” है, क्योंकि कई बार गिरफ्तारी के डर से ही व्यक्ति कुछ बातें बता देता है।
उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति का आचरण बदल जाता है और ईडी को इस शक्ति का “संयम से” प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एजेंसी को किसी को हिरासत में लेने से पहले गिरफ्तारी के आधार प्रस्तुत करने चाहिए।
राजू ने कहा कि ये दो चीजें जरूरी हैं। इसलिए अगर ईडी किसी व्यक्ति को पहले गिरफ्तार करता है, तो अदालत इस कदम को “उचित नहीं” मान सकती है।
एएसजी ने कहा, “इसलिए यदि आप इसमें (गिरफ्तारी में) थोड़ी देरी करते हैं, तो आपको अदालतों की उचित सराहना मिलेगी क्योंकि कई बार अदालतों ने कहा है कि गिरफ्तारी के आधार उचित नहीं हैं या विश्वास करने के कारण (आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए) उचित नहीं हैं।”
भाषा प्रशांत माधव
माधव
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