केरल में टोल वसूली निलंबन के खिलाफ अपील करने के अलावा कुछ करें: न्यायालय ने एनएचएआई से कहा

केरल में टोल वसूली निलंबन के खिलाफ अपील करने के अलावा कुछ करें: न्यायालय ने एनएचएआई से कहा

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  • Publish Date - August 14, 2025 / 06:53 PM IST,
    Updated On - August 14, 2025 / 06:53 PM IST

नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर पथकर (टोल) वसूली स्थगित करने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के प्रति अनिच्छा जताई।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल में राष्ट्रीय राजमार्ग 544 के एडापल्ली-मन्नुथी खंड की खराब स्थिति का उल्लेख किया।

पीठ ने कहा, ‘‘आप लोगों से टोल लेते हैं और सेवाएं नहीं देते… सर्विस रोड का रखरखाव नहीं किया जाता।’’

उच्च न्यायालय ने छह अगस्त को टोल वसूली को चार सप्ताह के लिए स्थगित करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि जब राजमार्ग का रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा है और यातायात जाम बहुत अधिक है, तो वाहन चालकों से टोल नहीं वसूला जा सकता।

उच्च न्यायालय ने फैसले में कहा कि जनता और एनएचएआई के बीच संबंध ‘‘जन विश्वास’’ का है और सुचारू यातायात प्रवाह बनाए रखने में विफलता ने उस विश्वास को भंग किया है।

उच्चतम न्यायालय में एनएचएआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के फैसले ने ‘‘गलत तरीके से’’ ठेकेदार, गुरुवायूर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एनएचएआई से नुकसान की वसूली करने की अनुमति दे दी।

उन्होंने कहा कि परिचालन एवं रखरखाव (ओ एंड एम) अनुबंध के तहत रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है।

न्यायमूर्ति चंद्रन ने इसपर कहा कि जिस चौराहे का हवाला दिया गया है वह टोल प्लाजा से काफी दूर हैं। उन्होंने एक स्थानीय मीडिया की खबर का हवाला दिया जिसमें बताया गया था कि टोल बूथ पर ट्रैफिक जाम के कारण एक व्यक्ति अपने ससुर के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाया।

न्यायमूर्ति चंद्रन ने एनएचएआई से कहा, ‘‘अपील दायर करने और समय बर्बाद करने के बजाय, आप कुछ करें।’’ उन्होंने कहा कि भीड़भाड़ के दौरान एम्बुलेंस को भी गुजरने में परेशानी होती है।

मेहता ने जब कार्य स्थलों को दर्शाने वाले मानचित्र प्रस्तुत करने के लिए स्थगन की मांग की, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप खारिज को स्थगित करना चाहते हैं?’’

पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट करेगी कि एनएचएआई और ठेकेदार के बीच विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने इस मामले को, ठेकेदार की अलग याचिका के साथ, सोमवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

भाषा धीरज माधव

माधव