नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार गुजरात में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ (गोडावण) पक्षियों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान अनुपूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यादव ने कहा कि गुजरात सहित कई राज्यों में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ के संरक्षण के लिए एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वह कांग्रेस सदस्य शक्तिसिंह गोहिल के प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।
गुजरात से कांग्रेस सांसद गोहिल ने कहा कि गुजरात के कच्छ में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ के लिए एक अभयारण्य है, लेकिन वहां केवल तीन मादा पक्षी ही बचे हैं। उन्होंने आशंका जताई कि यदि ये तीनों मादा पक्षी मर जाती हैं, तो अभयारण्य की भूमि उद्योगपतियों को सौंप दी जाएगी।
इस पर यादव ने कहा कि कांग्रेस सदस्य की यह आशंका “निराधार” है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार गुजरात में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है।
मंत्री ने सदन को बताया कि गुजरात के कच्छ में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ की चार मादा पक्षी हैं, जबकि राजस्थान में इस पक्षी की आबादी 140 है।
यादव ने यह भी जानकारी दी कि सरकार ‘इंडियन रोलर’ (पालापिट्टा) पक्षियों के संरक्षण के लिए कोई ‘विशेष परियोजना’ नहीं चला रही है। वह भाजपा नेता के. लक्ष्मण द्वारा इस पक्षी की घटती आबादी को लेकर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।
एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यादव ने कहा, “वन्यजीवों और उनके आवासों का संरक्षण और प्रबंधन मुख्य रूप से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की जिम्मेदारी है।”
उन्होंने बताया कि बाघ, हिम तेंदुआ और डॉल्फिन जैसी प्रमुख प्रजातियों की संख्या का आकलन राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। अन्य वन्यजीवों और पक्षियों की संख्या का आकलन राज्य और केंद्र शासित प्रदेश करते हैं और इन आंकड़ों को मंत्रालय स्तर पर संकलित नहीं किया जाता।
मंत्री ने कहा, “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-एक और दो में सूचीबद्ध वन्यजीवों को शिकार से संरक्षण प्राप्त है। भारतीय रोलर (कोरासियस बेंघालेन्सिस) इस अधिनियम की अनुसूची-दो में सूचीबद्ध है।”
पक्षियों सहित वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए यादव ने कहा कि देश में संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, संरक्षण रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व) का एक नेटवर्क बनाया गया है।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ‘डेवलपमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ हैबिटैट्स’ और ‘प्रोजेक्ट टाइगर एवं एलीफेंट’ जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके वार्षिक कार्ययोजना (एपीओ) के अनुसार वन्यजीव प्रबंधन और आवास विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
यादव ने कहा कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर’, ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’, ‘प्रोजेक्ट लायन’, ‘प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड’, ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’, ‘प्रोजेक्ट चीता’ और ‘प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ जैसे विशेष कार्यक्रम उनके संरक्षण के लिए चलाए जा रहे हैं।
भाषा मनीषा वैभव अविनाश
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