‘फर्जी खबर’ को परिभाषित किया जाए, कार्रवाई के लिए दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन हो: संसदीय समिति

‘फर्जी खबर’ को परिभाषित किया जाए, कार्रवाई के लिए दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन हो: संसदीय समिति

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  • Publish Date - December 2, 2025 / 08:44 PM IST,
    Updated On - December 2, 2025 / 08:44 PM IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) संसद की एक समिति ने सरकार से फर्जी खबरें प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन की व्यवहार्यता तलाशने को कहा है, ताकि ऐसे कृत्य में लिप्त पाए जाने वाले पत्रकार या इस तरह की खबरें गढ़ने वालों की मान्यता रद्द की जा सके। संसद में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में यह सिफारिश की गयी है।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने सरकार से ‘फेक न्यूज’ (फर्जी खबर) शब्द को परिभाषित करने, और गलत सूचना से निपटने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के उद्देश्य से मीडिया के लिए मौजूदा नियामक ढांचे में उपयुक्त प्रावधान शामिल करने को कहा है।

‘फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए तंत्र की समीक्षा’ पर रिपोर्ट में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कहा गया है कि वह फर्जी खबरों की परिभाषा तय करते समय सभी हितधारकों से परामर्श करे।

समिति ने कहा, ‘‘हर तरह की मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल) के लिए प्रासंगिक अधिनियमों/नियमों/दिशानिर्देशों में, फर्जी खबर प्रकाशित/प्रसारित करने के लिए दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन करने की भी आवश्यकता है।’’

संसदीय समिति ने कहा कि अगर कोई पत्रकार या ‘क्रिएटर’ फर्जी खबरें बनाने और/या प्रचारित करने का दोषी पाया जाता है, तो मंत्रालय उसकी मान्यता रद्द करने की व्यवहार्यता पर विचार कर सकता है।

समिति ने कहा, ‘‘बेशक, यह सब मीडिया संगठनों और संबंधित हितधारकों के बीच आम सहमति बनाने की प्रक्रिया से ही सामने आना चाहिए।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गलत सूचना/फर्जी खबर’ शब्द से संबंधित अस्पष्टता के मद्देनजर समिति को लगता है कि ‘फर्जी खबर’ शब्द को सूक्ष्म तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है।

समिति ने सरकार से यह भी कहा कि वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के मौजूदा विनियामक ढांचे में उपयुक्त प्रावधान शामिल करे, ताकि भ्रामक सूचनाओं से निपटने और संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के बीच मौजूद सूक्ष्म संतुलन बनाए रखा जा सके।

इसने यह भी कहा कि मीडिया संगठनों में ‘फैक्ट चेक’ प्रणाली और आंतरिक लोकपाल की व्यवस्था होने से स्व-नियामक तंत्र की भूमिका को मजबूत करने और भ्रामक सूचना/फेक न्यूज़ की समस्या को नियंत्रित करने में काफी सहायता मिलेगी।

समिति ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश के सभी प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संगठनों में ‘फैक्ट चेक’ तंत्र और आंतरिक लोकपाल को अनिवार्य किया जाए।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश