नयी दिल्ली: Ministry of External Affairs on H- 1B, भारत ने शनिवार को कहा कि एच-1बी वीजा के लिए वार्षिक शुल्क बढ़ाकर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर किए जाने संबंधी ट्रंप प्रशासन के फैसले से ‘‘मानवीय समस्याएं’’ उत्पन्न होने की आशंका है। उसने उम्मीद जताई कि वाशिंगटन इन ‘‘व्यवधानों’’ का उपयुक्त रूप से समाधान करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाए जाने से संबंधित उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किया है। वीजा शुल्क में वृद्धि का भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों और भारतीय पेशेवरों पर काफी प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से परिवारों को होने वाली समस्याओं के कारण मानवीय संकट पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इन व्यवधानों का उपयुक्त रूप से समाधान करेंगे।’’ जायसवाल ने कहा कि सभी संबद्ध हितधारक इस कदम के समग्र प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं।
Ministry of External Affairs on H-1B, रोजगार वीजा व्यवस्था पर ट्रंप प्रशासन की पाबंदियों को आव्रजन पर नकेल कसने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है। एच1बी वीजा तीन साल के लिए वैध होता है तथा इसे और तीन वर्ष के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।
उद्घोषणा में कहा गया है कि एच1बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क के रूप में 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (88 लाख रुपये) लिए जाएंगे। अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने संवाददाताओं को बताया कि तीन वर्षों के लिए कुल शुल्क 3,00,000 अमेरिकी डॉलर होगा। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के अनुसार, हाल के वर्षों में स्वीकृत सभी एच-1बी आवेदनों में से लगभग 71 प्रतिशत भारतीय के हैं।
अपनी प्रतिक्रिया में, नयी दिल्ली ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों द्वारा इस कदम के समग्र प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है। जायसवाल ने कहा, ‘‘इस कदम के समग्र प्रभावों का अध्ययन सभी संबंधित पक्षों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारतीय उद्योग जगत भी शामिल है, जिसने पहले ही एच1बी कार्यक्रम से संबंधित कुछ पूर्वधारणाओं को स्पष्ट करते हुए एक प्रारंभिक विश्लेषण प्रस्तुत किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दक्ष प्रतिभाओं के आने-जाने एवं आदान-प्रदान ने अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और धन सृजन में बहुत बड़ा योगदान दिया है।’’ जायसवाल ने कहा, ‘‘इसलिए नीति निर्माता हालिया कदमों का मूल्यांकन पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखते हुए करेंगे, जिसमें दोनों देशों के लोगों की जनता के स्तर पर मजबूत संबंध भी शामिल हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका, दोनों के उद्योगों की ‘‘नवाचार और रचनात्मकता में हिस्सेदारी है और उनसे आगे के सर्वोत्तम मार्ग पर परामर्श की उम्मीद की जा सकती है।’’
भारत के 283 अरब अमेरिकी डॉलर के आईटी और प्रौद्योगिकी उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रमुख संस्था, नैसकॉम ने कहा कि इन प्रतिबंधों का असर एच-1बी वीजा धारक भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत की प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियों पर भी पड़ेगा। नैसकॉम ने एक बयान में कहा, ‘‘एक दिन की समय-सीमा दुनिया भर के व्यवसायों, पेशेवरों और छात्रों के लिए काफी अनिश्चितता पैदा करती है।’’