(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (भाषा) वर्ष 2025 में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना का विस्तार ओडिशा और दिल्ली तक हुआ। इस दौरान डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि देखी गई और टीबी के खिलाफ लड़ाई को और मजबूती मिली। सरकार का ध्यान सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने पर रहा।
कोविड अब जनमानस की स्मृति पटल से लगभग ओझल हो चुकी है, लेकिन जून 2025 में सिंगापुर और हांगकांग सहित एशिया के कुछ हिस्सों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि देखने को मिली। हालांकि,संक्रमण हल्का होने के कारण मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी और स्थिति जल्द ही सामान्य हो गई।
सरकार ने उन्नत डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के प्रयास किये जिसकी वजह से भारत में जमीनी स्तर तक विशेषीकृत स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।
ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा ने डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का तेजी से प्रसार करने में मदद की और नागरिकों की चिकित्सा देखभाल तक पहुंच के तरीके को बदल दिया। इसके माध्यम से 43.2 करोड़ से अधिक मुफ्त टेली-परामर्श दिए गए, जिससे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों तक पहुंच सुनिश्चित हुई। इन लाभार्थियों में 57 प्रतिशत महिलाएं थीं।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के तहत अब तक 84.35 करोड़ से अधिक ‘आभा’ खाते बनाए जा चुके हैं, जिनमें से 12.09 करोड़ खाते इसी वर्ष 26 दिसंबर तक बनाए गए।
इसके साथ ही, अब तक 80.66 करोड़ स्वास्थ्य रिकॉर्ड को ‘आभा’ से जोड़ा जा चुका है, जिनमें से 35.52 करोड़ रिकॉर्ड इसी साल जोड़े गए हैं।
इस वर्ष दिल्ली और ओडिशा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर आयुष्मान भारत योजना को लागू किया। इसके साथ ही अब केवल पश्चिम बंगाल ही केंद्र की इस सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना के दायरे से बाहर है।
वर्ष 2018 में शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक लगभग 42.48 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इसके तहत अब तक कुल 10.98 करोड़ मरीज अस्तपाल में भर्ती हुए और कुल 1.60 लाख करोड़ रुपये व्यय हुए।
इसके अलावा, 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए पिछले साल अक्टूबर से शुरू की गई ‘आयुष्मान वय वंदना’ योजना के तहत अब तक 94,19,515 बुजुर्गों का नामांकन हो चुका है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने एंड्रायड आधारित ‘आयुष्मान ऐप’ लॉन्च किया है, जिसमें लाभार्थियों के लिए ‘स्व-सत्यापन’ की सुविधा दी गई है। इससे अब किसी भी मोबाइल फोन के जरिए आयुष्मान कार्ड बनाया जा सकता है।
भारत में क्षयरोग (टीबी) उन्मूलन की दिशा में हुई प्रगति को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ‘ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2025’ में भी रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों की दर में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है और 2015 में प्रति एक लाख आबादी पर 237 मामलों से घटकर 2024 में प्रति एक आबादी पर 187 मामले रह गए हैं।
वैश्विक टीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीबी से होने वाली मौतों में भी 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2025 में अक्टूबर तक 22.64 लाख टीबी मरीजों की पहचान कर उनका उपचार शुरू किया जा चुका है।
केंद्र द्वारा सात दिसंबर, 2024 को प्राथमिकता वाले 347 जिलों में शुरू किया गया ‘100 दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान’ का विस्तार अब देश के सभी जिलों में किया गया है।
सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए व्यापक एआई-आधारित सुधार शुरू किए हैं। इसके तहत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ और एम्स ऋषिकेश में तीन ‘एआई उत्कृष्टता केंद्र’स्थापित किए गए हैं।
इस स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक सहयोगी तंत्र विकसित किया गया है। इसमें केंद्रीय टीबी प्रभाग, एनसीडीसी, सीडैक-मोहाली, आईसीएमआर, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, उच्च शिक्षा मंत्रालय और भारतीय विज्ञान संस्थान जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं। साथ ही, वाधवानी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
भाषा सुमित धीरज
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