अपनी पार्टी ने जम्मू कश्मीर में पहले ही चुनाव में जीतीं 12 सीटें

अपनी पार्टी ने जम्मू कश्मीर में पहले ही चुनाव में जीतीं 12 सीटें

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  • Publish Date - December 23, 2020 / 12:42 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:47 PM IST

जम्मू, 23 दिसंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर में नौ महीने पहले गठित अपनी पार्टी ने राज्य में लड़े गए अपने पहले ही चुनाव (डीडीसी) में 12 सीटों पर जीत हासिल की और 38 हजार से ज्यादा वोट भी बटोरे।

पूर्व मंत्री और कश्मीर के शीर्ष कारोबारी अलताफ बुखारी के नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी का गठन आठ मार्च को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर किया गया था जिससे लोगों को राज्य के दो प्रमुख दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का विकल्प मिल सके।

जिला विकास परिषद (डीडीसी) के हाल में हुए चुनावों में पार्टी को जम्मू क्षेत्र में तीन तो वहीं कश्मीर घाटी में नौ सीटों पर जीत हासिल हुई। आंकड़ों के मुताबिक उसे 38 हजार से ज्यादा मत हासिल हुए।

निर्वाचन प्राधिकारियों के आंकड़ों के मुताबिक पार्टी से जुड़े पूर्व कांग्रेसी मंत्री और वरिष्ठ गुज्जर नेता ऐजाज अहमद खान ने रेयासी जिले के थूरू से 1578 मतों से डीडीसी चुनाव जीता।

आंकड़ों के मुताबिक उन्हें 4904 मत मिले जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के मोहम्मद अशरफ को 3326 मत प्राप्त हुए। वह दो बार विधायक रह चुके हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस की सरकार में मंत्री भी थे।

अपनी पार्टी की उम्मीदवार यास्मीन ने रियासी जिले के चासना क्षेत्र से जीत हासिल की जबकि राजौरी जिले के भूडाल-नया क्षेत्र से पार्टी की नसरीन अख्तर विजयी रहीं।

पार्टी ने बांदीपुरा-ए (बांदीपुरा), कुंजार, तंगमार्ग (दोनों बारामूला में), तंघार (कुपवाड़ा), केल्लार (शोपियां), हरवान-द्वितीय, श्रीनगर-तृतीय और खानमोह-प्रथम (दोनों श्रीनगर में) सीटों पर जीत हासिल की।

पार्टी नेताओं ने कहा कि वे नतीजों से हताश नहीं हैं क्योंकि प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने अपना श्रेष्ठ प्रयास किया जबकि उनके सामने गुपकार गठबंधन तथा अन्य के रूप में शक्तिशाली ताकतें थीं।

नेताओं ने कहा कि इन चुनावों में पार्टी ने कई निर्दलीयों को समर्थन दिया था जिन्हें जीत मिली है।

बुखारी ने कहा, “आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक बिल्कुल नयी पार्टी पुराने और मजबूत क्षेत्रीय दलों के गठजोड़ से मुकाबला कर रही थी।”

भाषा

प्रशांत उमा

उमा