ग्रेट निकोबार परियोजना के विनाशकारी प्रभावों को नजरअंदाज कर रहे हैं गृह मंत्री: कांग्रेस

ग्रेट निकोबार परियोजना के विनाशकारी प्रभावों को नजरअंदाज कर रहे हैं गृह मंत्री: कांग्रेस

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  • Publish Date - October 28, 2025 / 01:04 PM IST,
    Updated On - October 28, 2025 / 01:04 PM IST

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस ने ‘ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना’ पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान को आश्चर्यजनक करार देते हुए मंगलवार को कहा कि शाह इस परियोजना के विनाशकारी परिवेशी और सामाजिक प्रभावों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि गृह मंत्री और सरकार को इस परियोजना से जुड़ी चिंताओं को स्वीकार करना चाहिए।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री शाह ने सोमवार को कहा था कि पांच अरब अमेरिकी डॉलर की ‘ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना’ से देश का समुद्री व्यापार कई गुना बढ़ जाएगा।

भारत ने 2021 में इस महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचागत परियोजना का निर्माण शुरू किया जिसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी में स्थित इस द्वीप का कायाकल्प करना है।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘केंद्रीय गृह मंत्री आश्चर्यजनक रूप से ‘ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट’ पर बहस में यह कहते हुए शामिल हो गए कि इससे भारत के समुद्री व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। जैसा कि इस मुद्दे पर कई विशेषज्ञों ने भी कहा है, यह एक विशेष तरह का तर्क है। इसके अलावा, गृह मंत्री इस परियोजना के उन विनाशकारी परिवेशी और सामाजिक प्रभावों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हैं, जो संदेह से परे हैं। ‘

उन्होंने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ अपने पत्राचार का उल्लेख किया और पत्र भी साझा किए।

उनका कहना है, ‘केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मैंने पहले इस परियोजना पर विस्तृत बातचीत की है, जिसे यहां (पत्र के लिंक) देखा जा सकता है। ‘

रमेश के अनुसार, समय-समय पर परियोजना के विभिन्न पहलुओं के बारे में मीडिया में खबरें आई हैं और यह भी कहा गया है कि इसे कैसे बेशर्मी से दबाया जा रहा है।

उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘अब 70 विद्वानों, पर्यावरणविदों, आदिवासियों, नागरिक समाज कार्यकर्ताओं, पूर्व नौकरशाहों और वकीलों ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को पत्र लिखकर परियोजना के गंभीर और अपरिवर्तनीय नकारात्मक प्रभावों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने उनसे राजनीतिक विचारों को अलग रखने और परियोजना के परिवेशी निहितार्थों पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा हैं।’

रमेश ने कहा, ‘ उम्मीद है कि गृह मंत्री और सरकार इन चिंताओं को स्वीकार करेंगे।’’

भाषा हक

मनीषा

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