अगर हमें राज्य के दर्जे के लिए थोड़ा संघर्ष करना पड़ा, तो हम करेंगे: उमर अब्दुल्ला

अगर हमें राज्य के दर्जे के लिए थोड़ा संघर्ष करना पड़ा, तो हम करेंगे: उमर अब्दुल्ला

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  • Publish Date - August 22, 2025 / 09:04 PM IST,
    Updated On - August 22, 2025 / 09:04 PM IST

(फोटो के साथ)

जम्मू, 22 अगस्त (भाषा) संसद के मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की उम्मीदें टूट जाने के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि अब संघर्ष यहां से नए सिरे से शुरू होगा।

अब्दुल्ला ने यहां एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘अब इसे छोड़ दीजिए, उम्मीद खत्म हो गई है…पानी सिर के पार हो गया है। हम यहां से अपनी प्रक्रिया शुरू करेंगे। हमें उम्मीद थी कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, हमसे किए गए वादों पर अमल किया जाएगा। उन वादों पर कार्रवाई की जाएगी।’

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा, ‘अगर हमें थोड़ा संघर्ष करना पड़े, थोड़ी मेहनत करनी पड़े…तो हम अपनी ओर से ऐसा करेंगे।’

मुख्यमंत्री नगरोटा स्थित सैनिक स्कूल के 56वें ​​स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए और त्रिवेणी गर्ल्स हॉस्टल का उद्घाटन किया।

उन्होंने केंद्र पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर प्रस्तावित तीन विधेयकों का इस्तेमाल करके चुनिंदा नेताओं को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘फिलहाल, जितने भी मामले दर्ज किए गए हैं और जिनमें गिरफ़्तारियां हुई हैं, उनमें सिर्फ विपक्षी सदस्यों को ही निशाना बनाया गया है। अगर यह कदम सचमुच भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उठाया जा रहा है, तो 2014 से अब तक सरकार के काम का क्या असर हुआ है?’

उन्होंने कहा, ‘कोई भी कानून स्वाभाविक रूप से बुरा नहीं होता—कानून का दुरुपयोग ही उसे गलत बनाता है।’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैं भाजपा के अपने दोस्तों को बस एक बात याद दिलाना चाहता हूं—वे हमेशा सत्ता में नहीं रहेंगे। आज वे जिस कानून का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ करते हैं, कल वही कानून उनके अपने लोगों के खिलाफ भी इस्तेमाल हो सकता है। कानून से खिलवाड़ देश के लिए फायदेमंद नहीं होगा।’

अब्दुल्ला ने कहा कि विधेयक अब संसदीय समिति के समक्ष है और वह नतीजे का इंतजार करेंगे।

हाल में कथित आतंकी संबंधों के चलते दो सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह ऐसा मामला है, जिसके बारे में आपको राजभवन से पूछना होगा-इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप