भारत रक्षा क्षेत्र में अनिश्चित विदेशी आपूर्ति पर निर्भर नहीं रह सकता : राजनाथ

भारत रक्षा क्षेत्र में अनिश्चित विदेशी आपूर्ति पर निर्भर नहीं रह सकता : राजनाथ

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  • Publish Date - August 30, 2025 / 08:33 PM IST,
    Updated On - August 30, 2025 / 08:33 PM IST

नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि आतंकवाद, क्षेत्रीय संघर्ष और ‘टैरिफ वॉर’ के दौर में, भारत की सेना अनिश्चित विदेशी आपूर्ति पर निर्भर नहीं रह सकती तथा रक्षा में आत्मनिर्भरता देश की रणनीतिक स्वायत्तता की हिफाजत के लिए जरूरी है।

सिंह ने एक सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा कि सरकार प्रस्तावित सुदर्शन चक्र वायु रक्षा प्रणाली के तहत अगले 10 वर्षों में देश भर में सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को पूर्ण हवाई सुरक्षा प्रदान करने की योजना बना रही है, जिसमें दुश्मन के किसी भी खतरे से निपटने के लिए रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तत्व होंगे।

रक्षा मंत्री ने यह भी घोषणा की कि भारत ने एक शक्तिशाली स्वदेशी एयरो-इंजन विकसित करने की चुनौती स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण परियोजना की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही काम दिखने लगेगा।

सिंह ने अमेरिका का नाम लिये बिना कहा कि कई विकसित देश संरक्षणवादी उपायों का सहारा ले रहे हैं, तथा ‘‘व्यापार युद्ध और टैरिफ वॉर की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत किसी से दुश्मनी नहीं चाहता, लेकिन अपने हितों से समझौता भी नहीं करेगा। हमारे लोगों, किसानों और छोटे व्यवसायों का कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘दुनिया जितना ज्यादा दबाव डालेगी, भारत उतना ही मजबूत होकर उभरेगा।’’ उन्होंने यह टिप्पणी व्यापार और टैरिफ (शुल्क) से जुड़े मुद्दों पर भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के बीच की।

उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की भारत की नीति संरक्षणवाद नहीं है।

‘एनडीटीवी डिफेंस समिट’ में उन्होंने कहा, ‘‘यह संरक्षणवाद नहीं है। यह संप्रभुता के बारे में है। जब युवाओं, ऊर्जा, तकनीक और संभावनाओं से भरपूर एक राष्ट्र आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है, तो दुनिया रुककर इस पर ध्यान देती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यही वह ताकत है जो भारत को वैश्विक दबावों का सामना करने और अधिक मजबूत होकर उभरने में सक्षम बनाती है।’’

रक्षा मंत्री ने सुदर्शन चक्र को भारत की भविष्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया तथा आधुनिक युद्ध में वायु रक्षा प्रणालियों के महत्व पर जोर देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर से प्राप्त सीख का उल्लेख किया।

रक्षा मंत्री ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 23 अगस्त को स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसने एक साथ तीन लक्ष्यों को भेदा।

उन्होंने कहा कि हालांकि, पूर्ण कार्यान्वयन में समय लगेगा, लेकिन रक्षा मंत्रालय प्रस्तावित मिसाइल कवच की दिशा में पहले ही ‘‘निर्णायक’’ रूप से आगे बढ़ चुका है।

सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक शानदार उदाहरण बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर में भारत की जीत और पाकिस्तान की हार कुछ दिनों के युद्ध की कहानी लग सकती है, लेकिन इसके पीछे वर्षों की रणनीतिक तैयारी और रक्षा तत्परता छिपी हुई है।’’

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेनाओं ने वर्षों की कड़ी मेहनत और स्वदेशी सैन्य साजो-सामान पर निर्भरता के जरिए इस ऑपरेशन को प्रभावी और निर्णायक ढंग से अंजाम दिया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि बदलते वैश्विक हालात ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि रक्षा क्षेत्र में बाहरी निर्भरता अब कोई विकल्प नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान स्थिति में आत्मनिर्भरता हमारी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक है।”

रक्षा मंत्री ने कहा, “आज रक्षा क्षेत्र केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की नींव नहीं है, बल्कि यह हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और उसके भविष्य को सुरक्षित करने का एक प्रमुख आधार भी बन गया है।”

उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल लोगों की सुरक्षा, जमीन की सुरक्षा या सीमाओं की रक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारी पूरी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा और संरक्षा के लिए एक जिम्मेदार क्षेत्र भी बन रहा है।’’ रक्षा क्षेत्र में भारत के आयातक से निर्यातक बनने की ओर इशारा करते हुए, सिंह ने कहा कि रक्षा निर्यात 2014 के 700 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में लगभग 24,000 करोड़ रुपये हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत अब केवल खरीदार नहीं, बल्कि निर्यातक भी है। यह सफलता केवल सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के कारण ही नहीं, बल्कि निजी उद्योग, स्टार्ट-अप और उद्यमियों के योगदान के कारण भी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘घरेलू रक्षा उत्पादन 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जिसमें 25 प्रतिशत योगदान निजी क्षेत्र का है। रक्षा केवल व्यय नहीं है, बल्कि यह रक्षा अर्थशास्त्र है, जो रोजगार, नवाचार और औद्योगिक विकास का वाहक है।’’

भाषा सुभाष संतोष

संतोष