CJI on bulldozer action: “भारत कानून से चलता है, बुलडोजर से नहीं”, CJI गवई ने बुल्डोजर एक्शन को लेकर साधा निशाना

CJI Gavai on bulldozer action: उन्होंने सरकारों को आगाह किया कि बिना कानूनी प्रक्रिया के घरों को गिराना संविधान की मूल भावना और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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  • Publish Date - October 4, 2025 / 10:34 PM IST,
    Updated On - October 4, 2025 / 10:35 PM IST

CJI Gavai on bulldozer action, image source: law trend

HIGHLIGHTS
  • तीन दिवसीय सरकारी यात्रा पर मॉरीशस पहुँचे CJI गवई
  • सजा देने का अधिकार केवल न्यायपालिका के पास
  • बिना न्यायिक आदेश के घर गिराना अधिकार का हनन

मॉरीशस: CJI Gavai on bulldozer action, सर मौरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025 के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने बड़ी बात कही है। मॉरीशस में एक महत्वपूर्ण संबोधन के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का लोकतंत्र “कानून के शासन” पर आधारित है, न कि “बुलडोजर न्याय” पर। उन्होंने सरकारों को आगाह किया कि बिना कानूनी प्रक्रिया के घरों को गिराना संविधान की मूल भावना और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।

तीन दिवसीय सरकारी यात्रा पर मॉरीशस पहुँचे CJI गवई ने अपने भाषण में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की याद दिलाई जिसमें “बुलडोजर न्याय” की आलोचना की गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी नागरिक को सजा देने का अधिकार केवल न्यायपालिका के पास है तो सरकार, जज, जूरी और जल्लाद की भूमिका नहीं निभा सकती।

CJI बी.आर. गवई ने कहा कि “हमारे संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। बिना न्यायिक आदेश के घर गिराना उस अधिकार का हनन है।”

कार्यक्रम में ये लोग रहे उपस्थित

CJI Gavai on bulldozer action, इस कार्यक्रम में मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमबीर गोखूल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और देश की मुख्य न्यायाधीश रेहाना मुंगली गुलबुल भी उपस्थित रहे। CJI गवई ने बताया कि कानून सिर्फ नियमों का संग्रह नहीं, बल्कि एक नैतिक और सामाजिक व्यवस्था है जो समानता, मानव गरिमा और जवाबदेही सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि कमजोर और वंचित वर्गों ने कानून के जरिए ही ऐतिहासिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है।

गांधी और अंबेडकर के विचारों की याद

महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए CJI गवई ने कहा कि भारत में कानून का शासन सिर्फ तकनीकी नियमों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा तय करता है। अपने भाषण में CJI ने 1973 के केशवानंद भारती केस का भी जिक्र किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के ‘मूल ढांचे’ की रक्षा को सर्वोपरि बताया था और संसद की सीमित संशोधन शक्ति को रेखांकित किया था।

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश का यह भाषण ऐसे समय में आया है जब देश में बिना न्यायिक आदेश के सरकारी कार्रवाई—जैसे घरों को गिराने—पर बहस जारी है। CJI गवई ने स्पष्ट संदेश दिया कि लोकतंत्र की मजबूती कानून के शासन में है, सत्ता के मनमाने इस्तेमाल में नहीं।

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मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने क्या कहा?

CJI गवई ने कहा कि भारत कानून से चलता है, बुलडोजर से नहीं। उन्होंने बिना कानूनी प्रक्रिया के घर गिराने की कार्रवाइयों को संविधान और नागरिक अधिकारों के खिलाफ बताया। CJI ने दो टूक कहा कि सरकार जज, जूरी और जल्लाद की भूमिका नहीं निभा सकती।

CJI गवई का यह बयान किस संदर्भ में आया है?

उनका बयान उन सरकारी कार्रवाइयों के संदर्भ में है, जिनमें बिना न्यायिक आदेश के घरों को गिराया गया। हाल के वर्षों में कई मामलों में "बुलडोजर एक्शन" को सरकारों द्वारा तुरंत सज़ा देने के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है, जिस पर देशभर में बहस हो रही है।

क्या CJI ने किसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया?

हाँ, CJI गवई ने अपने भाषण में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की याद दिलाई, जिसमें "बुलडोजर न्याय" की आलोचना की गई थी। साथ ही उन्होंने 1973 के केशवानंद भारती केस का उल्लेख किया, जिसमें संविधान के 'मूल ढांचे' की रक्षा को सर्वोपरि बताया गया था।

उन्होंने संविधान के किस अनुच्छेद का उल्लेख किया?

CJI गवई ने अनुच्छेद 21 का ज़िक्र किया, जो हर नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि बिना न्यायिक आदेश के घर गिराना इस अनुच्छेद का उल्लंघन है।