भारत की आध्यात्मिक संस्कृति सेवा की भावना से प्रेरित है: मोदी

भारत की आध्यात्मिक संस्कृति सेवा की भावना से प्रेरित है: मोदी

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  • Publish Date - January 15, 2025 / 08:10 PM IST,
    Updated On - January 15, 2025 / 08:10 PM IST

(फोटो सहित)

नवी मुंबई, 15 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत की आध्यात्मिक संस्कृति सेवा की भावना में गहराई से निहित है और उनकी सरकार एक दशक से अधिक समय से लोगों के कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से काम कर रही है।

नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने शौचालयों का निर्माण, गरीबों के लिए घर और नागरिकों को एलपीजी कनेक्शन तथा चिकित्सा बीमा प्रदान करने जैसे कई कल्याणकारी उपाय शुरू किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सेवा की भावना धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है। हमारी आध्यात्मिक संस्कृति का मुख्य आधार सेवा की भावना है। भारत केवल भौगोलिक सीमाओं से घिरा हुआ भूमि का एक टुकड़ा नहीं है। यह एक जीवंत भूमि है, जीवंत संस्कृति है। ज्ञान ही अध्यात्म है और अगर हम भारत को समझना चाहते हैं तो हमें अध्यात्म को आत्मसात करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि भगवद्गीता की शिक्षाओं का प्रसार कर रहे इस्कॉन के अनुयायी दुनियाभर में भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति के कारण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

मोदी ने कहा कि इस्कॉन की सेवा भावना युवाओं को प्रेरित करती है और उन्हें एक संवेदनशील समाज बनाने में मदद करती है जो मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देता है।

प्रधानमंत्री ने भारत को एक ‘‘असाधारण, अद्भुत भूमि’’ बताते हुए कहा कि सच्ची सेवा निस्वार्थ मानवीय प्रयास का प्रतीक है, जहां कोई अन्य हित नहीं होता।

उन्होंने कहा कि भव्य मंदिर में ईश्वर के विभिन्न स्वरूपों को प्रदर्शित किया गया है और नयी पीढ़ी की रुचि को ध्यान में रखते हुए हिंदू महाकाव्यों रामायण और महाभारत पर आधारित एक संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है।

मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि नौ एकड़ में फैला मंदिर परिसर आस्था के साथ-साथ भारत की चेतना को समृद्ध करने वाला एक पवित्र केंद्र बनेगा।

उन्होंने कहा कि दुनियाभर में इस्कॉन के अनुयायी भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति के कारण एकजुट हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एक अन्य जोड़ने वाला सूत्र आंदोलन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद स्वामी की शिक्षाएं हैं, जो भक्तों का हमेशा मार्गदर्शन करती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रील प्रभुपाद स्वामी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वेदों, वेदांत और गीता के महत्व को बढ़ावा दिया तथा उनकी शिक्षाओं को आम लोगों की चेतना से जोड़ा।

मोदी ने कहा कि 70 वर्ष की आयु में, जब अधिकांश लोग अपने दायित्वों को निभा चुके होते हैं, श्रील प्रभुपाद स्वामी ने इस्कॉन मिशन की शुरुआत की और दुनिया भर की यात्रा की तथा भगवान कृष्ण के संदेश को हर कोने तक फैलाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग दुनिया को केवल भौतिक दृष्टिकोण से देखते हैं, वे भारत को विभिन्न भाषाओं और प्रांतों के समूह के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, जब कोई अपनी आत्मा को इस सांस्कृतिक चेतना से जोड़ता है, तो वह वास्तव में भारत को देखता है।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूर्वी भारत में चैतन्य महाप्रभु जैसे संत हुए, वहीं पश्चिम में महाराष्ट्र में नामदेव, तुकाराम और ज्ञानेश्वर जैसे संत हुए।

मोदी ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु ने महावाक्य (उपनिषदों से लिया गया) मंत्र जन-जन तक पहुंचाया, जबकि महाराष्ट्र के संतों ने रामकृष्ण हरि मंत्र के माध्यम से आध्यात्मिक अमृत बांटा। इसी तरह, श्रील प्रभुपाद स्वामी ने इस्कॉन के माध्यम से गीता को लोकप्रिय बनाया और लोगों को इसके सार से जोड़ा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अलग-अलग स्थानों और समय में जन्मे इन संतों ने अपने अनूठे तरीकों से कृष्ण भक्ति की धारा को आगे बढ़ाया। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि सभी धार्मिक ग्रंथ और शास्त्र सेवा की भावना पर आधारित हैं और इस्कॉन इसी विश्वास के साथ काम करता है तथा शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण में योगदान देता है।

मोदी ने कहा कि इस्कॉन प्रयागराज में महाकुंभ मेले में महत्वपूर्ण सेवा गतिविधियां चला रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सेवा की इसी भावना के साथ नागरिकों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कृष्ण सर्किट के माध्यम से देशभर के विभिन्न तीर्थस्थलों और धार्मिक स्थलों को जोड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिशा तक फैली हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सर्किट का उद्देश्य भक्तों के लिए भगवान कृष्ण से जुड़े विभिन्न स्थलों की यात्रा को आसान बनाना है। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में स्थापित भक्तिवेदांत आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र और भक्तिवेदांत वैदिक शिक्षा महाविद्यालय से पूरे देश को लाभ मिलेगा।

भाषा आशीष देवेंद्र

देवेंद्र