बेंगलुरु, 28 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां एक बेदखली विवाद के मद्देनजर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल पर प्रशासन में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए रविवार को सवाल किया कि क्या वह राज्य के ‘‘सुपर सीएम’’ हैं।
कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने कहा कि कर्नाटक सम्मान, स्वायत्तता और ईमानदार शासन का हकदार है, न कि उच्च कमान के ‘‘नाटक’’ का।
उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा, ‘‘कर्नाटक राहुल गांधी और उनकी मंडली की कॉलोनी नहीं है।’’
अशोक कोगिलु गांव में अनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने के संबंध में वेणुगोपाल की ओर से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर किये गए पोस्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
वेणुगोपाल ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच पर कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार से बात की है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) ने गंभीर चिंता व्यक्त की है कि इस तरह की कार्रवाई बहुत अधिक सावधानी, संवेदनशीलता और करुणा के साथ की जानी चाहिए थी, जिसमें मानवीय प्रभाव को केंद्र में रखा जाना चाहिए था।’’
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘उन्होंने (मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने) आश्वासन दिया है कि वे प्रभावित परिवारों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करेंगे, शिकायतों के निवारण के लिए एक उचित तंत्र स्थापित करेंगे और प्रभावित लोगों के पुनर्वास और राहत सुनिश्चित करेंगे।’’
वेणुगोपाल का बयान केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा अतिक्रमण-रोधी अभियान की आलोचना करने और इसे ‘‘बुलडोजर राज का क्रूर सामान्यीकरण’’ बताने के बाद आया।
नेता प्रतिपक्ष अशोक ने सवाल किया, ‘‘कर्नाटक के प्रशासन में दखल देने वाले केसी वेणुगोपाल कौन होते हैं? क्या वह कोई सुपर सीएम (मुख्यमंत्री) हैं, या क्या कांग्रेस आलाकमान मानता है कि चुनी हुई राज्य सरकारें दिल्ली के इशारों पर चलती हैं?’’
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में संवैधानिक रूप से निर्वाचित मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल का शासन है, न कि एआईसीसी महासचिव का।
भाजपा नेता ने कहा कि किसी पार्टी की राय व्यक्त करना एक बात है, लेकिन राज्य सरकार पर नैतिक उपदेश देना और दबाव बनाने की रणनीति अपनाना ‘‘स्पष्ट रूप से अपनी सीमा से बाहर जाना’’ और संघवाद का अपमान है।
अशोक ने सवाल किया, ‘‘सबसे चिंताजनक बात तो दोहरी नीति है। क्या केसी वेणुगोपाल ने कभी उतनी ही तत्परता दिखाई है जब केरल से चिकित्सा और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को अवैध रूप से कर्नाटक की सीमाओं पर फेंका गया था, जिससे बांदीपुर वन क्षेत्र, जन स्वास्थ्य और वन्यजीवों को खतरा पैदा हो रहा है? क्या उन्होंने कर्नाटक के पर्यावरण, किसानों या सीमावर्ती जिलों के लिए उसी चिंता और सहानुभूति के साथ आवाज उठाई है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘वहां चुप्पी साधे हुए हैं और यहां उपदेश दे रहे हैं।’’
भाषा धीरज सुरेश
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