‘शिवलिंग नहीं फव्वारा है…लेकिन आज तक चलते नहीं देखा’ ज्ञानवापी परिसर को लेकर काशी के महंत का दावा

'शिवलिंग नहीं फव्वारा है...लेकिन आज तक चलते नहीं देखा' ! 'its fountain not Shivling' Kashi Mahant Claims That on Gyanvapi Case

‘शिवलिंग नहीं फव्वारा है…लेकिन आज तक चलते नहीं देखा’ ज्ञानवापी परिसर को लेकर काशी के महंत का दावा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:43 pm IST
Published Date: May 23, 2022 7:17 pm IST

वाराणसी: ‘its fountain not Shivling’ ज्ञानवापी मस्जिद मामले की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। रोजाना मस्जिद को लेकर नए नए दावे सामने आ रहे हैं। जहां एक ओर कुछ लोग मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा कर रहे हैं तो कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ये शिवलिंग नहीं फव्वारा है। इसी कड़ी में काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित काशी करवत मंदिर के महंत पंडित गणेश शंकर उपाध्याय का दावे ने सबको चौका कर रख दिया है।

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शिवलिंग नहीं…फव्वारा है

‘its fountain not Shivling’ पंडित गणेश शंकर उपाध्याय का दावा है कि ज्ञानवापी में शिवलिंग नहीं है, बल्कि फव्वारा ही है, जैसा कि वह पिछले 50 सालों से देखते आ रहे हैं। साथ में गणेश शंकर उपाध्याय यह भी दावा करते हैं कि उन्होंने फव्वारे को चलते हुए कभी नहीं देखा। गणेश शंकर ने देश की एक नामी मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि देखिए एक पक्ष के लोग परिसर में मिले वस्तु को शिवलिंग बता रहे हैं। देखने में उसकी आकृति शिवलिंग जैसी प्रतीत हो रही है। हम लोगों को जो जानकारी है, उसके अनुसार वह फव्वारा था। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने उस फव्वारे को बचपन से देखा है। पिछले 50 साल से देख भी रहे हैं।

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मुगल काल का है फव्वारा

महंत ने बताया कि हम लोग सैंकड़ों बार उस आकृति के पास गए हैं, घंटों वहां समय व्यतीत किया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के मौलवी या फिर सेवादार से हमारी बातें भी होती थीं। वहां का स्ट्रक्चर काफी पहले का है, हम लोगों ने पूछा भी था। उत्सुकता भी होती थी कि बीच में क्या है? तो यह कहा गया कि यह फव्वारा है, लेकिन कभी उसको चलते हुए हम लोगों ने नहीं देखा। महंत ने कहा कि हम लोगों ने इस बारे में पूछा भी कि ये कब चलता है, उसका फव्वारा देखने में कैसा लगता है, तो सेवादार या फिर मौलवी बताते थे कि मुगल काल का फव्वारा है। महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने आगे बताया कि मीडिया में जो वीडियो दिखाया जा रहा है, जिसमें वहां कुछ सफाई कर्मी दिख रहे हैं। इस स्थिति में जो ऊपर से फोटो लिया गया है जिससे नीचे दिख रही वस्तु का आकृति शिवलिंग जैसी दिख रही है।

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तहखाने के खंभो को देखकर लगता है मंदिर

ठीक सामने नंदी की मौजूदगी के सवाल पर पंडित गणेश शंकर उपाध्याय ने कहा कि यह कटु सत्य है कि वहां मंदिर था और मुगल शासन में उसको तोड़ा गया था। उस पर मस्जिद का निर्माण किया गया. पीछे अभी भी मंदिर का कुछ भाग बचा हुआ है। तहखाने को लेकर भी महंत ने नया खुलासा किया और कहा कि जिसे तहखाना बताया जा रहा है, वह वास्तव में तहखाना नहीं है। उन्होंने कहा कि फर्स्ट फ्लोर पर ही सिर्फ मस्जिद है। तहखाने में जो खंभे दिख रहे हैं, उसे देखने से लगता है कि वहां मंदिर था।

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शिवलिंग को वजू के स्थान पर रख दिया गया

पंडित गणेश शंकर उपाध्याय ने बताया कि शिवलिंग के बारे में हम लोगों को कोई जानकारी नहीं है कि उस स्थान पर कभी शिवलिंग था। अभी जो फोटो आई है उसे तो देखने में प्रतीत होता है कि शिवलिंग की आकृति है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि शिवलिंग को वजू के स्थान पर रख दिया गया है। लोग कहते हैं कि मुस्लिम वहां कुल्ला करते हैं, हाथ धोते हैं. महंत ने कहा कि कुल्ला करने का स्थान बाहर है। मुस्लिम समाज के लोग वहां से पानी लेते थे और फिर उससे बाहर आकर वुजू करते थे।

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