रांची, 10 दिसंबर (भाषा) झारखंड के संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बुधवार को राज्य विधानसभा में राजभवन का नाम बदलकर ‘बिरसा भवन’ करने का प्रस्ताव रखा।
किशोर ने कहा कि राजभवन राज्य सरकार की संपत्ति है और इसका नाम बदलने का अधिकार राज्य सरकार के पास है।
देशव्यापी औपनिवेशिक काल के नामों को समाप्त करने की पहल के तहत झारखंड के राजभवन का आधिकारिक नाम तीन दिसंबर को लोक भवन कर दिया गया था।
यह परिवर्तन केंद्रीय गृह मंत्रालय के देश भर के राजभवनों का नाम बदलकर लोक भवन और राज निवास का नाम बदलकर लोक निवास करने के निर्देशों के बाद हुआ।
बुधवार को पूर्वाह्न करीब 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही किशोर ने सदन में अपना प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा, “हम सब जानते हैं कि राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 154 के तहत राज्य की कार्यकारी शक्ति राज्यपाल में निहित है इसलिए राज्यपाल का कार्यालय राज्य का कार्यालय है। राज्य के विधायी कार्य राज्यपाल के कार्यालय से ही संचालित होते हैं।”
मंत्री ने कहा कि राजभवन राज्य सरकार की संपत्ति है।
उन्होंने सदन में कहा, “राज्य में स्थापित सरकारी चल और अचल संपत्तियों का नाम बदलने का अधिकार केवल राज्य सरकार के पास है। इसी संदर्भ में मैं प्रस्ताव करता हूं कि रांची स्थित राजभवन का नाम बिरसा मुंडा के नाम पर ‘बिरसा भवन’ रखा जाए और दुमका स्थित राजभवन का नाम सिदो और कान्हू मुर्मू के नाम पर ‘सिदो-कान्हू भवन’ रखा जाए।”
रांची के मध्य में राजभवन का मुख्य परिसर 52 एकड़ में फैला हुआ है और ‘ऑड्रे हाउस’ 10 एकड़ में बना है।
राजभवन का निर्माण 1930 में शुरू हुआ और मार्च 1931 में लगभग सात लाख रुपये की अनुमानित लागत से पूरा हुआ।
भाषा जितेंद्र सिम्मी
सिम्मी