सुप्रीम कोर्ट के 47वें CJI होंगे शरद अरविंद बोबड़े, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिलाई शपथ | Justice SA bobde take Oath sa 47th CJI of Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट के 47वें CJI होंगे शरद अरविंद बोबड़े, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिलाई शपथ

सुप्रीम कोर्ट के 47वें CJI होंगे शरद अरविंद बोबड़े, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिलाई शपथ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : November 18, 2019/3:30 am IST

नई दिल्ली: जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट 47वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ लिया। भारत के प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस बोबड़े को सीजेआई पद की शपथ दिलाई। चीफ जस्टिस के तौर पर बोबडे का कार्यकाल 2021 तक चलेगा, वे 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे। बता दें इससे पहले रंजन गोगोई भारत के चीफ जस्टिस के पद पर पदस्थ थे और वे रविवार को सेवानिवृत्त हुए।

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जानिए कौन हैं शरद अरविंद बोबड़े
जस्टिस बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ। उनके पिता मशहूर वकील थे। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कला व कानून में स्नातक किया। 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले जस्टिस बोबडे ने मार्च, 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में शपथ ली। 16 अक्तूबर 2012 को वह मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई।

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जस्टिस बोबडे अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद जमीनी विवाद मामले में फैसला देने वाले पांच जजों के संविधान पीठ में शामिल रहे। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे निजता के अधिकार के लिए गठित सात जजों की संविधान पीठ में शामिल रहे थे। वे आधार को लेकर उस बेंच में भी रहे जिसने कहा था कि जिन लोगों के पास आधार नहीं है उन्हें सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा। 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता

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चीफ जस्टिस को दी थी क्लीन चिट
न्यायमूर्ति बोबडे की अध्यक्षता में ही उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने सीजेआई गोगोई को उन पर न्यायालय की ही पूर्व कर्मी द्वारा लगाए गए आरोप में क्लीन चिट दी थी। इस समिति में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा भी शामिल थीं।

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