Jyotiraditya Scindia will Resign from Rajya Sabha : MP से राज्यसभा की एक सीट होगी खाली, ज्योतिरादित्य सिंधिया देंगे इस्तीफा !

Jyotiraditya Scindia will resign from Rajya Sabha: सिंधिया के राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा देते ही उपचुनाव की तैयारी आयोग शुरू कर देगा।

  • Reported By: Vivek Pataiya

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  • Publish Date - June 10, 2024 / 06:40 PM IST,
    Updated On - June 10, 2024 / 06:40 PM IST

Guna To Bengluru New Train/ Image Credit: IBC24 File

Jyotiraditya Scindia will resign from Rajya Sabha : भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुना से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ यह तय हो गया है कि मध्यप्रदेश से राज्यसभा की एक सीट रिक्त होगी और इस सीट पर राज्यसभा उपचुनाव होगा। सिंधिया के राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा देते ही उपचुनाव की तैयारी चुनाव आयोग शुरू कर देगा। बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा सांसद रहते हुए गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाया था और 5,40,929 मतों के अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार राव यादवेंद्र सिंह यादव को हराकर सिंधिया लोकसभा पहुंचे हैं इसलिए अब सिंधिया राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देंगे। चुनाव आयोग शेष अवधि के लिए उपचुनाव कराएगा। सिंधिया का राज्यसभा में कार्यकाल नौ अप्रैल 2026 तक है।

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रवनीत बिट्टू राज्यसभा से संसद जाना तय!

अब बीजेपी देश और प्रदेश के सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी तय करेगी वैसे प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं ने दावेदारी शुरू कर दी है। लेकिन चर्चा यह भी है कि बीजेपी किसी दूसरे राज्य से आने वाले नेता को भी मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेज सकती है क्योंकि मोदी कैबिनेट में दो चेहरे ऐसे हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव में हार मिली है। इसके बावजूद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली है ऐसे में उन्हें 6 महीने में लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होना होगा। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हुए पंजाब से पूर्व कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। उन्होंने लुधियाना से लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग से चुनाव हार गए थे ऐसे में उन्हें राज्यसभा से संसद में भेजा जाना तय है।

वहीं केरल बीजेपी के महासचिव जॉर्ज कुरियन भी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए है वह अभी तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। कई सीनियर नेता लोकसभा का चुनाव हार गए है जो मोदी के दूसरे कार्यकाल में मंत्री थे। ऐसे में उनका भी दबाव नेतृत्व पर होगा इसलिए दावेदारी कर रहे मध्यप्रदेश के नेताओं को सिंधिया की रिक्त हो रही सीट पर निराशा हाथ लग सकती है क्योंकि नेतृत्व को केंद्रीय मंत्रियों और सीनियर नेताओं को एडजेस्ट करना होगा दुसरा कारण यह भी है कि लोकसभा चुनाव के पहले चार सीटों पर राज्यसभा के चुनाव हुए थे जिसमें तीन सीटों पर मप्र के नेताओं को मौक़ा दिया गया था ऐसे में नेतृत्व अब प्रदेश के बाहर के नेता को राज्यसभा भेज सकता है।

 

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