कांवड़ यात्रा : न्यायालय ने ढाबों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश पर अंतरिम रोक बढ़ाई

कांवड़ यात्रा : न्यायालय ने ढाबों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश पर अंतरिम रोक बढ़ाई

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  • Publish Date - August 5, 2024 / 06:39 PM IST,
    Updated On - August 5, 2024 / 06:39 PM IST

नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश द्वारा जारी उन निर्देशों पर रोक लगाते हुए 22 जुलाई के अपने अंतरिम आदेश को बढ़ाने का निर्देश दिया, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों को मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था।

विपक्षी दलों ने तीनों राज्यों की ओर से जारी इन निर्देशों को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ तथा विभाजनकारी एवं भेदभावपूर्ण बताया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश ने प्रभावी रूप से यह सुनिश्चित किया कि राज्यों के आदेशों के अनुपालन के बिना ही (कांवड़) यात्रा आयोजित हो जाए।

हिंदू कैलेंडर के ‘श्रावण’ महीने के दौरान शिवलिंगों पर जलाभिषेक करने के लिए विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा से पवित्र जल की ‘कांवड़’ लेकर आते हैं। कई श्रद्धालु इस महीने में मांस खाने से परहेज करते हैं और कई लोग तो प्याज और लहसुन युक्त भोजन भी नहीं खाते।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ समय की कमी के कारण मामले की सुनवाई नहीं कर सकी, लेकिन अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया।

एक पक्ष की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि वर्तमान में कांवड़ यात्रा जारी है, और श्रावण 19 अगस्त को समाप्त होगा। जब उन्होंने अदालत से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा कि एक तारीख तय की जाएगी, हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि मामले की अगली सुनवाई कब होगी।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के अलावा मध्यप्रदेश के उज्जैन में भाजपा शासित नगर निकाय ने भी दुकान मालिकों को इसी तरह का निर्देश जारी किया था। उज्जैन में भगवान शिव का प्रसिद्ध “महाकाल” मंदिर है।

न्यायालय ने 22 जुलाई को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

पीठ ने निर्देश दिया, “…हम यह उचित समझते हैं कि विवादित निर्देशों के प्रवर्तन पर रोक लगाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया जाए। दूसरे शब्दों में, खाद्य सामग्री विक्रेताओं (ढाबा मालिकों, रेस्तरां, खाद्य पदार्थ और सब्जी विक्रेताओं, फेरीवालों आदि) को यह प्रदर्शित करने की आवश्यकता हो सकती है कि वे कांवड़ियों को किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं।”

उसने कहा, “लेकिन उन्हें अपने-अपने प्रतिष्ठानों में तैनात मालिकों और कर्मचारियों का नाम/पहचान प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। तदनुसार आदेश दिया गया है।”

भाषा प्रशांत रंजन

रंजन