बेंगलुरु, 11 अप्रैल (भाषा) बहुप्रतीक्षित सामाजिक-आर्थिक एवं शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट शुक्रवार को कर्नाटक कैबिनेट के समक्ष पेश की गयी। इस रिपोर्ट को ‘जाति गणना’’ के नाम से भी जाना जाता है। राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इसकी जानकारी दी।
पत्रकारों से यहां बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ मंत्रियों ने कहा कि वे पहले सिफारिशों पर विचार करना चाहते हैं। इस कारण 17 अप्रैल को कैबिनेट की बैठक होगी।’’
कर्नाटक के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एच. के. पाटिल ने कहा कि यह निर्णय किया गया है कि 17 अप्रैल को एक विशेष कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना पर चर्चा की जाएगी।
पिछड़ा वर्ग विकास मंत्री शिवराज तंगादागी के अनुसार, जाति जनगणना रिपोर्ट 50 खंडों में है। इसमें 1.38 करोड़ परिवारों के 5.98 करोड़ लोग शामिल हैं।
तंगादागी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसमें 94.77 प्रतिशत लोग शामिल हैं। केवल 5.23 प्रतिशत लोग इसके दायरे से बाहर हैं।’’
उन्होंने कहा कि जाति जनगणना 1.6 लाख अधिकारियों की मदद से तैयार की गई थी, जिसमें 79 आईएएस अधिकारी, 777 वरिष्ठ स्तर के अधिकारी, 1,33,825 शिक्षक और कृषि एवं अन्य विभागों के 22,190 कर्मचारी शामिल थे।
सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट पिछले साल फरवरी में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को सौंपी गई थी।
भाषा रंजन नरेश
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