Protest Againts Caste Survey | Image- ANI News file
Protest Againts Caste Survey: शिवमोग्गा: कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के ग्रामीणों ने राज्य में चल रहे जाति सर्वेक्षण में भाग लेने से इनकार कर दिया है। कर्नाटक में कराये जा रहे सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण 22 सितंबर को शुरू हुआ था और 7 अक्टूबर याने कल ख़त्म होने वाला है।
बरूर ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासी शशिकुमार ने बताया कि वे सर्वेक्षण के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन गाँव में मोबाईल नेटवर्क के लिए टावर लगवाना जरूरी है। सरकार द्वारा उनकी इस मांग को तीन साल से ज़्यादा समय से नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। बताया गया कि, सागर तालुका के तहसीलदार ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया था है कि उनकी माँगों पर तीन दिनों के भीतर ध्यान दिया जाएगा। लेकिन लंबा वक़्त बीत जाने के बाद भी इस आश्वासन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
शशिकुमार ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में बताया “हमारे बरूर ग्राम पंचायत क्षेत्र के तीन-चार गांवों में नेटवर्क की समस्या है। हम नेटवर्क के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पहले भी चुनावों का बहिष्कार किया गया था। उस समय तालुक पंचायत के ईओ आए थे और समस्या का समाधान करने का वादा किया था। तीन साल से हमारी नेटवर्क समस्या पर किसने ध्यान नहीं दिया? राज्य सरकार एक सामाजिक-शैक्षणिक और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है। हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है।”
सागर तालुक के बरूर ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले कम से कम चार गांवों, बरूर, कल्लुकोप्पा, थेप्पागोडु और मुलुकेरी के लोगों ने बैनर लेकर ग्राम पंचायत कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।”
Protest Againts Caste Survey: शशिकुमार ने आगे कहा कि, सर्वेक्षण के लिए जानकारी इकट्ठा करने के लिए अफसरों को घर-घर जाना चाहिए लेकिन अफसर ग्रामीणों को पंचायत कार्यालय में आकर अपनी व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए कह रहे है। हम इसका विरोध करते हैं। हमने पहले ही एक नेट समिति का गठन कर लिया है। हम ग्राम पंचायत परिसर में धरना भी दे रहे हैं।” शशिकुमार ने बताया कि, ‘सागर के तहसीलदार मौके पर पहुँच गए हैं और उन्होंने हमें बताया है कि वे तीन दिन के भीतर बीएसएनएल अधिकारियों से आपकी समस्या पर चर्चा करेंगे और उसका समाधान करेंगे। हमने अस्थायी रूप से धरना समाप्त कर दिया है। अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उग्र संघर्ष किया जाएगा।”
इससे पहले रविवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि पहले की जाति जनगणना सटीक नहीं थी, यही वजह है कि राज्य सरकार ने नए सर्वेक्षण को मंजूरी दी है।