Waqf Amendment Bill: ‘बिल नहीं लाते तो संसद भवन भी वक्फ का हो जाता’.. संसद में किरेन रिजिजू बोले- विरोध करने वालों का हृदय परिवर्तन होगा

Waqf Amendment Bill: 'बिल नहीं लाते तो संसद भवन भी वक्फ का हो जाता'.. संसद में किरेन रिजिजू बोले- विरोध करने वालों का हृदय परिवर्तन होगा

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  • Publish Date - April 2, 2025 / 12:50 PM IST,
    Updated On - April 2, 2025 / 12:53 PM IST

Waqf Amendment Bill | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना है।
  • किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस पर लोगों की याचिकाओं की संख्या बहुत अधिक रही है।
  • यह विधेयक धार्मिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप नहीं करता, केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित है।

नई दिल्ली: Waqf Amendment Bill लोकसभा में आज वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश हो गया है। संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बिल को सदन में पेश किया। बिल पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि इससे अधिक संख्या में आजतक किसी भी बिल पर लोगों की याचिकाएं नहीं आई। 284 डेलिगेशन ने अलग-अलग कमेटी के सामने अपनी बात रखी है। 25 राज्यों के वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा। पॉलिसी मेकर्स, विद्वानों ने भी अपनी बात कमेटी के सामने रखी हैं। इस बिल का पॉजिटिव सोच के साथ विरोध करने वाले भी समर्थन करेंगे।

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Waqf Amendment Bill किरेन रिजिजू ने कहा कि कई लीगल एक्सपर्ट, कम्युनिटी लीडर्स, धार्मिक लीडर्स और अन्य लोगों ने कमेटी के सामने अपने सुझाव रखे। पिछली बार जब हमने बिल पेश किया था, तब भी कई बातें बताई थीं। मुझे उम्मीद ही नहीं, यकीन है कि जो इसका विरोध कर रहे थे, उनके हृदय में बदलाव होगा और वे बिल का समर्थन करेंगे। मेरे मन की बात कहना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि किसी ने कहा कि ये प्रावधान गैर संवैधानिक हैं। किसी ने कहा कि गैर-कानूनी है। यह नया विषय नहीं है। आजादी से पहले पहली बार बिल पास किया गया था। इससे पहले वक्फ को इनवैलिडेट (अवैध करार) किया था। 1923 में मुसलमान वक्फ एक्ट लाया गया था। ट्रांसपेरेंसी और एकाउंटिबिलिटी का आधार देते हुए एक्ट पारित किया गया था।

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केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि 2014 में हम सब चुनाव में थे। उससे पहले 2013 में कुछ कदम उठाए गए। जिन्हें एक नागरिक और सदस्य के रूप में आपके दिमाग में सवाल उठेगा कि ये कदम क्यों उठाया गया।

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पहला था कि कोई भले ही किसी धर्म का हो कि कोई भी वक्फ क्रिएट कर सकता है। शिया बोर्ड में शिया रहेंगे, सुन्नी में सुन्नी रहेंगे, ऐसा आपने प्रावधान किया था। एक प्रावधान आया था कि वक्फ बोर्ड का जो प्रावधान है, इस देश में कोई भी मौजूदा कानून है, यह (वक्फ) उसके ऊपर रहेगा। इस देश में ऐसा कानून कैसे मंजूर कर सकते हैं?

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2013 में जो बिल पास हुआ, उस पर ताज्जुब हुआ। 1970 से दिल्ली में एक केस चल रहा था। दिल्ली की कई प्रॉपर्टी पर वक्फ ने दावा किया। इसमें पार्लियामेंट बिल्डिंग भी थी। 123 प्रॉपर्टी यूपीए सरकार ने वक्फ को दे दी थी। आज ये संशोधन नहीं लाते तो संसद की इमारत को भी क्लेम किया जा रहा था। यूपीए की सरकार जारी रहती तो क्या-क्या प्रॉपर्टी पर दावा किया गया था। सभी को डी-नोटिफाई कर दिया जाता।

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रिजिजू ने कहा कि किसी भी तरीके से वक्फ बोर्ड वक्फ प्रॉपर्टी को मैनेज नहीं करता। सबको बोलने का मौका मिलेगा, आप लोग पहले शांति से बात तो सुन लीजिए। कुछ केस आपको बताना चाहता हूं। संविधान कहता है कि न तो सरकार किसी भी धार्मिक व्यवस्था में दखलंदाजी कर सकती है, न ही वक्फ किसी भी धार्मिक व्यवस्था में हाथ डाल सकता है। ये लोग संविधान को ही नहीं मानते। हम किसी भी मस्जिद के मैनेजमेंट में दखलंदाजी का प्रावधान नहीं कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड का प्रावधान किसी मस्जिद-मंदिर की धार्मिक व्यवस्था से लेना-देना नहीं है, सिर्फ प्रॉपर्टी के मैनेजमेंट का मसला है।

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है। यह बिल वक्फ बोर्ड के कार्यों को सुधारने और धार्मिक प्रबंधन से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए पेश किया गया है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को क्यों पेश किया?

किरेन रिजिजू ने यह विधेयक सदन में पेश करते हुए कहा कि इसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई अहम सुधार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह बिल सकारात्मक सोच के साथ विरोध करने वालों को भी समर्थन दिलाएगा।

क्या वक्फ संशोधन विधेयक धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करता है?

किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह बिल केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित है और इसका किसी मस्जिद या मंदिर की धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है। यह किसी भी धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखता है।