लिथियम की खोज भारत में ईवी को बढ़ावा देने के लिए अहम, लेकिन खनन से पर्यावरण को गंभीर खतरा : विशेषज्ञ

लिथियम की खोज भारत में ईवी को बढ़ावा देने के लिए अहम, लेकिन खनन से पर्यावरण को गंभीर खतरा : विशेषज्ञ

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  • Publish Date - February 24, 2023 / 07:36 PM IST,
    Updated On - February 24, 2023 / 07:36 PM IST

(शकूर राठेर)

नयी दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में लिथियम की खोज भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन इसके खनन में सावधानी नहीं बरतने की सूरत में पर्यावरण के लिहाज से यह जोखिम भरा हो सकता है।

विशेषज्ञों ने हिमालयी क्षेत्र में वायु प्रदूषण और मृदा क्षरण जैसे पर्यावरणीय खतरों का उल्लेख किया है।

गौरतलब है कि हाल में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने इलेक्ट्रिक वाहन और सोलर पैनल बनाने में अहम धातु लिथियम के 59 लाख टन भंडार का पता रियासी जिले में लगाया है। भारत लिथियम का आयात करता है।

‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (आईआईएसडी) में वरिष्ठ नीति सलाहकार सिद्धार्थ गोयल ने कहा कि लिथियम भंडार की खोज कई मायनों में देश की स्वच्छ ऊर्जा निर्माण महत्वाकांक्षाओं के मद्देनजर आमूल-चूल बदलाव वाली साबित हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भंडार महत्वपूर्ण है और लिथियम-आयन सेल के आयात पर भारत की निर्भरता को कम कर सकता है, जो ईवी बैटरी और अन्य स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए एक प्रमुख घटक है।’’

हालांकि, इसका एक दूसरा पहलू भी है।

डेलावेयर विश्वविद्यालय में ऊर्जा एवं पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर सलीम एच. अली ने आगाह करते हुए कहा, ‘‘रिपोर्ट बताती हैं कि एक टन लिथियम का उत्पादन करने के लिए लगभग 22 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, अस्थिर हिमालय क्षेत्र में खनन जोखिम भरा है।’’

उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया में लिथियम खनन के कारण मृदा क्षरण, पानी की कमी, वायु प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान पर चिंता जताई गई है।

अली ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि खनन प्रक्रिया में जल का अत्यंत उपयोग होता है और इससे पानी की आपूर्ति भी दूषित होने का जोखिम रहता है।

भाषा शफीक वैभव

वैभव