कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकता है शिवकुमार को सीएम बनाना! सिद्धारमैया रेस में आगे

Siddharamaiah become cm of karnataka: डीके शिवकुमार से सितंबर 2019 में ईडी ने पूछताछ शुरू की, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करीब चार दिन तक लगातार पूछताछ के बाद डीके को गिरफ्तार कर लिया गया।

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  • Publish Date - May 15, 2023 / 12:11 PM IST,
    Updated On - May 15, 2023 / 12:12 PM IST

siddaramaiah vs dk shivakumar: नईदिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की विजय हुई है, आज दोपहर 1 बजे बेंगलुरु से दिल्ली के लिए सीएम उम्मीदवार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार रवाना होंगे। कांग्रेस आलाकमान के बुलावे पर वे दिल्ली जा रहे हैं। बीती रात कर्नाटक में CM चुनने के लिए विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में विधायकों ने कांग्रेस नेतृत्व को सीएम चुनने के लिए प्रस्ताव पास कर अधिकृत कर दिया है। इधर कांग्रेस पर्यवेक्षक सुशील शिंदे और अन्य दिल्ली रवाना हो गए हैं जोकि मल्लिकार्जुन खड़गे को अपनी रिपोर्ट देंगे। कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद अब दिल्ली में मंथन होगा।

इस बीच जो बड़ी खबर है वे ये है कि डीके को सीएम बनाना पार्टी के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है। एक जमाने में देवेगौड़ा परिवार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बने डीके शिवकुमार इस बार सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार थे, उन्होंने पार्टी को हर बार मुश्किलों से निकालने का काम किया और जो काम दिया गया उसे ईमानदारी से पूरा भी किया। इस सबके बावजूद कुछ ऐसी चीजें हैं, जो डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बीच आ रही हैं, हो सकता है कि इन्हीं वजहों के चलते डीके शिवकुमार को सीएम पद नहीं दिया जाए।

ईडी और सीबीआई के मामले

डीके शिवकुमार ने जब अपना पहला चुनाव लड़ा था, तब उन्हें इसके लिए अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ी थी, लेकिन इसके बाद हर साल डीके की संपत्ति में इजाफा होने लगा। आज डीके शिवकुमार कर्नाटक के सबसे अमीर नेताओं में शामिल हैं, डीके के पास करीब 1400 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। यही वजह रही कि वो केंद्रीय एजेंसियों की रडार पर आए, उनके खिलाफ पहले सीबीआई ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया। जिसके बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केस दर्ज किया है।

डीके शिवकुमार से सितंबर 2019 में ईडी ने पूछताछ शुरू की, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करीब चार दिन तक लगातार पूछताछ के बाद डीके को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद करीब 50 दिन तक डीके शिवकुमार जेल में रहे, इसके बाद सोनिया गांधी खुद डीके से मिलने जेल पहुंचीं थीं। जिसकी जानकारी उन्होंने जीत के बाद दी, उन्होंने तब सोनिया से कहा था कि वो कर्नाटक में पार्टी को जीत दिलाकर रहेंगे। फिलहाल डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और आय से अधिक संपत्ति के करीब 19 से ज्यादा मामला दर्ज हैं। जिनमें से कई मामलों में डीके पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत

साल 2019 में बीएस येदियुरप्पा सरकार ने डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच को हरी झंडी दी थी। राज्य सरकार की तरफ से की गई सिफारिश के बाद डीके के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया और जांच शुरू की गई, इसके बाद डीके कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचे और इस फैसले को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच के लिए कर्नाटक सरकार का आदेश गलत है। हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली। चुनाव से ठीक पहले अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट ने डीके की याचिका को खारिज कर दिया था।

कांग्रेस को सता रहा इस बात का खतरा

अब कर्नाटक में डीके शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने के रास्ते में सीबीआई और ईडी के यही मामले रोड़ा अटका रहे हैं। कांग्रेस को इसी बात का खतरा है कि अगर डीके को सीएम बनाया जाता है तो केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा उन पर कस सकता है, क्योंकि डीके पहले ही जमानत पर बाहर चल रहे हैं, ऐसे में उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। वहीं सीबीआई वाले मामले में भी हाईकोर्ट की तरफ से डीके को झटका लगा है। ऐसे में कांग्रेस डीके को सीएम बनाने का रिस्क नहीं लेना चाहेगी।

सीएम के ऐलान से ठीक पहले डीजीपी बने सीबीआई डायरेक्टर

अब कर्नाटक में सीएम के ऐलान से ठीक पहले एक और चीज हुई है, यहां के डीजीपी प्रवीण सूद को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई का डायरेक्टर बना दिया गया है। जिनका डीके शिवकुमार के साथ 36 का आंकड़ा है। डीके ने सूद के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी, यहां तक कि उनकी गिरफ्तारी तक की मांग भी कर दी थी, वही सूद अब सीबीआई डायरेक्टर के पद पर बैठ गए हैं। वहीं सीबीआई जो डीके शिवकुमार के खिलाफ जांच कर रही है, ऐसे में ये भी कांग्रेस के लिए एक बड़ा फैक्टर हो सकता है।

सिद्धारमैया हुए रेस में आगे

डीके शिवकुमार के खिलाफ तमाम मामलों और गिरफ्तारी की लटक रही तलवार का सीधा फायदा सिद्धारमैया को होता दिख रहा है। हालांकि उनके खिलाफ डीके समर्थक ये तर्क दे रहे हैं कि वो पांच साल सीएम रह चुके हैं, वहीं रिटायरमेंट का भी ऐलान कर चुके हैं, ऐसे में जब अगले चुनाव आएंगे तो पार्टी का सीएम ही चुनाव नहीं लड़ेगा। हालांकि डीके शिवकुमार के मुकाबले सिद्धारमैया का पलड़ा इसलिए भारी है, क्योंकि उनकी पहुंच राज्य के हर तबके में है, खासतौर पर दलित, मुसलमान और पिछड़े वर्ग (अहिंदा) में सिद्धारमैया की पैठ है। कांग्रेस नहीं चाहेगी कि ये बड़ा वोट बैंक उससे नाराज हो जाए। इससे कांग्रेस की लोकप्रियता कर्नाटक में कम हो सकती है। जानाधार के तौर पर देखा जाए तो सिद्धारमैया का कद डीके से ऊंचा ही नजर आता है।

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