शिलांग, 12 जुलाई (भाषा)मेघालय उच्च न्यायालय ने पूर्वी खासी पवर्तीय जिले के मावसिनराम क्षेत्र में पवित्र मावजिम्बुइन गुफा की तीर्थयात्रा की सशर्त अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा कि यात्रा के दौरान शांति, व्यवस्था और स्थानीय भावनाओं का सम्मान सुनिश्चित किया जाए।
न्यायमूर्ति एच.एस. थांगख्यू की एकल पीठ ने शुक्रवार को यह आदेश पारित किया। याचिका में गुफा की तीर्थयात्रा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
सभी संबंधित पक्षों ने सौहार्दपूर्ण एवं सम्मानजनक यात्रा या तीर्थयात्रा को संभव बनाने के लिए कुछ सुरक्षा उपायों पर सहमति व्यक्त की थी।
अदालत के निर्देश के अनुसार, तीर्थयात्रियों को गुफा में कोई पूजा या धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति नहीं होगी, न ही वे कोई पूजा सामग्री वहां ले जा सकेंगे।
अदालत ने कहा कि गुफा के अंदर पवित्र शिवलिंग पर केवल प्रतीकात्मक रूप से जलाभिषेक की अनुमति होगी, लेकिन अत्यधिक जल का इस्तेमाल करने पर रोक होगी।
उच्च न्यायालय ने जिला प्राधिकारियों को यात्रा की निगरानी करने का निर्देश दिया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हो। इसके अतिरिक्त, आयोजक को निर्देश दिया गया है कि वे निजी सुरक्षा कर्मियों या स्वयंसेवकों को यातायात वार्डन के रूप में सहायता करने तथा लोगों के आवागमन को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए नियुक्त करें।
अदालत ने रेखांकित किया कि तीर्थयात्रा पूरी गंभीरता और स्थानीय मानदंडों के सम्मान के साथ की जानी चाहिए, तथा यातायात में व्यवधान उत्पन्न नहीं करना चाहिए तथा परिसर में गंदगी नहीं फैलनी चाहिए।
आदेश में कहा गया है, ‘‘हालांकि, गांव के अधिकारियों ने ‘शिवलिंग’ पर जलाभिषेक पर आपत्ति जताई है, लेकिन न्याय के हित में और समानता को संतुलित करने के लिए केवल प्रतीकात्मक छिड़काव की अनुमति दी जाएगी।’’
मावसिनराम गांव के दोरबार श्नोंग ने निर्धारित शर्तों के तहत यात्रा के संचालन का समर्थन करते हुए एक हलफनामा दिया है।
मामले को 31 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जिसके बाद सभी पक्षों को निर्णय लेना है तथा जिला प्राधिकारियों को यात्रा की सही तारीख बतानी है।
भाषा धीरज दिलीप
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