बेंगलुरु में वेतन नहीं मिला तो सात दिन में हजार किमी चलकर ओडिशा में अपने घर पहुंचे प्रवासी श्रमिक |

बेंगलुरु में वेतन नहीं मिला तो सात दिन में हजार किमी चलकर ओडिशा में अपने घर पहुंचे प्रवासी श्रमिक

बेंगलुरु में वेतन नहीं मिला तो सात दिन में हजार किमी चलकर ओडिशा में अपने घर पहुंचे प्रवासी श्रमिक

:   Modified Date:  April 5, 2023 / 05:51 PM IST, Published Date : April 5, 2023/5:51 pm IST

कोरापुट (ओडिशा), पांच अप्रैल (भाषा) कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच ओडिशा के तीन निराश्रित प्रवासी श्रमिक सात दिन में 1,000 किलोमीटर पैदल चलकर बेंगलुरु से ओडिशा के कोरापुट आए और फिर यहां से कालाहांडी स्थित अपने-अपने घर पहुंचे।

तीनों रविवार को जब अपने घर पहुंचे तो उनकी जेब खाली और हाथों में केवल पानी की बोतलें थीं। उनके पास कुछ था तो वह था इस लंबी यात्रा के दौरान के संघर्ष, कठिनाइयां, शोषण और अनजान लोगों से मिली मदद की कहानियां।

कालाहांडी जिले के तिंगलकन गांव के बुडू मांझी, कटार मांझी और भिखारी मांझी तीनों को बेंगलुरु में उनका नियोक्ता कथित तौर पर वेतन नहीं दे रहा था, जिससे तंग आकर उन्होंने यह कठिन यात्रा करने की ठानी। उनकी मामूली सी बचत समाप्त हो गई थी उनके पास न तो भोजन था और न ही पैसे ।

कोरापुट पहुंचने पर, उन्होंने पोतांगी ब्लॉक के पडलगुडा में स्थानीय लोगों को बताया कि उन्होंने 26 मार्च को अपनी यात्रा शुरू की थी और वे इन सात दिन में रात में भी चले। कुछ जगहों पर उन्हें सवारी भी मिली।

श्रमिकों की परेशानियों को समझते हुए कई लोग अनायास आगे आए और उनकी मदद की। एक दुकानदार ने उन्हें भोजन की पेशकश की, जबकि ओडिशा मोटर वाहन चालक एसोसिएशन की पोतंगी इकाई के अध्यक्ष भगवान पडल ने उन्हें 1,500 रुपये दिए। साथ ही नबरंगपुर के लिए उनके परिवहन की व्यवस्था की, जो कालाहांडी के रास्ते में पड़ता है।

तीनों पुरुष प्रवासी श्रमिकों के उस 12 सदस्यीय समूह का हिस्सा थे, जो दो महीने पहले नौकरी की तलाश में बिचौलियों की मदद से बेंगलुरु गया था।

बेंगलुरु पहुंचने के बाद उन्हें काम मिला लेकिन उनके नियोक्ता ने कथित तौर पर उन्हें दो महीने तक काम करने के बावजूद वेतन नहीं दिया। तीनों ने कहा कि जब उन्होंने वेतन मांगा तो उन्हें पीटा गया।

भिखारी माझी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हम अपने परिवार चलाने के लिए पैसा कमाने की उम्मीद से बेंगलुरु गए थे। लेकिन जब भी हमने वेतन मांगा तो कंपनी के कर्मचारियों ने हमें बकाया भुगतान करने के बजाय हमारी पिटाई की। अब और यातना सहन नहीं कर पा रहे थे, इसलिए हम वहां से चले आए।”

पडल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”बेंगलुरू से पैदल कोरापुट पहुंचने पर तीनों प्रवासी श्रमिकों की स्थिति दयनीय थी। हमने उन्हें भोजन दिया, कुछ पैसे एकत्र किए और कुछ लोगों की मदद से उन्हें घर भेज दिया।”

पिछड़े केबीके (कोरापुट-बोलंगीर-कालाहांडी) से संबंधित रखने वाले कांग्रेस के विधायक संतोष सिंह सलूजा ने कहा कि यह घटना क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों की स्थिति को दर्शाती है। ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजू जनता दल (बीजद) ने 23 साल सत्ता में रहने के बाद भी लोगों को निराश किया है।

ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सरत पटनायक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सरकार गरीब लोगों की चिंता करने के बजाय निवेश लाने के नाम पर नौकरशाहों और नेताओं की जापान यात्रा के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।

मुख्यमंत्री जापान के दौरे पर हैं। ओडिशा के श्रम मंत्री श्रीकांत साहू और श्रम आयुक्त एन थिरुमाला नाइक ने इस मुद्दे पर ‘पीटीआई-भाषा’ के कई फोन कॉल या संदेशों का जवाब नहीं दिया।

भाषा जोहेब पवनेश

पवनेश

 

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