नाबालिग लड़की ने प्राइवेट पार्ट में उंगली डालने का आरोप लगाया, सुप्रीम कोर्ट बताएगा ये रेप है या नहीं

सुप्रीम कोर्ट के सामने पोक्‍सो कानून से जुड़ा एक बड़ा सवाल आया है। इस मामले में उसने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। देश की सबसे बड़ी अदालत में एक याचिका डाली गई है। इसमें केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। Minor girl accused of putting finger in private part, Supreme Court will tell whether it is rape or not

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  • Publish Date - March 17, 2022 / 11:22 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

man cut his own private part

नई दिल्ली: Penetrative Sexual Assault Case उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने एक याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसमें कहा गया है कि अगर नाबालिग लड़की बयान देती है कि उसके प्राइवेट पार्ट में आरोपी ने उंगली डाली थी तो क्‍या ये मामला पोक्सो पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट (यानी रेप) के तहत बनेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को एग्जामिन करने का फैसला किया है कि क्या लड़की के ऐसे बयान पर पोक्सो के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट (Penetrative Sexual Assault) के तहत केस बनेगा?

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accused of putting finger in private part सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी की अगुवाई वाली बेंच ने केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर 70 साल के आरोपी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। केरल हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जो तथ्य हैं उसमें इस बात के सबूत नहीं थे कि पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट का मामला है। मामले में आरोपी को सेक्सुअल असॉल्ट के तहत दोषी करार दिया गया था।

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हाई कोर्ट ने कहा था कि लड़की के बयान से ये जाहिर नहीं होता है कि उसके प्राइवेट पार्ट में फिंगर डाली गई थी। ऐसे में पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट का केस नहीं बनता है। पोक्सो की धारा-3 बी में पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को परिभाषित किया गया है। इसके तहत कहा गया है कि अगर लड़की के प्राइवेट पार्ट में आरोपी कोई भी ऑब्जेक्ट डालता है तो वह पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट होगा। या फिर लड़की के शरीर में आरोपी अपना प्राइवेट पार्ट कहीं भी डालता है तो वह भी पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट कहा जाएगा।

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पोक्सो में पेनेट्रिटिव सेक्सुअल असॉल्ट के मामले में धारा-4 के तहत दोषी शख्स को अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट यानी रेप मामले में पोक्सो में विस्तार से परिभाषित किया गया है।ट्रायल कोर्ट ने पोक्सो की धारा-3 बी के तहत आरोपी को दोषी करार दिया था। लेकिन, केरल हाई कोर्ट ने उसे धारा-8 यानी सेक्सुअल असॉल्ट का दोषी माना था जिसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मोहम्मद सादिक की ओर से याचिका दायर की गई है।