रांची: देश में सरकारी स्कूलों के क्या हालत हैं ये शायद आपके आंखो से छुपा नही होगा । धीरे धीरे सरकारें कोशिस कर रही हैं। लेकिन इतना धीरे कर रही हैं, कि एक स्कूल को बनने में ही लंबा वक्त लग जाता है। और मामला तब और नीचे गिर जाता है। जब बंद स्कूलों के नाम पर फंड निकलवाया जाता हो। जी हां एक ऐसा ही मामला आया है ,झारखंड से, जहां बीस साल से बंद पड़ी एक स्कूल के नाम पर फंड रेज करवाया गया। इस फर्जी वाड़े का खुलासा गांव वालों के शिकायत के बाद सामने आया है। जहां शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने जांच में पाया कि चार शिक्षको की ड्यूटी दिखाकर 8 से अधिक रुपये निकाले गए।
यहां का है मामला
गांव वालों की माने तो सारे बच्चे आस पास के दूसरे स्कूलो में पढ़ते हैं। जिन्हे इस बीस साल से बंद स्कूल के विद्यार्थी दिखाकर पैसे निकाले गए। गांव वालों ने आगे बताया कि 52 लोगो ने मिल कर इस बात की शिकायत लिखित तौर पर उपायुक्त और शिक्षा उपायुक्त से की थी । जिसके बाद जांच हुई और स्कूल बंद पाया गया साथ ही साथ एक बड़ा स्कैम सामने आया है। यह पूरा मामला झारखंड के गुमला जिला के घाघरा प्रखंड से सामने आया है। जहां अल्पसंख्यक उर्दू प्राथमिक विद्यालय गोया के नाम से फर्जी स्कूल समिति बनाकर आठ लाख से ज्यादा रुपए की राशि की निकासी की गई है।
अधिकारियों ने नहीं की जांच
अधिकारियों के पहली बार निरीक्षण के बाद पाई गलती की जांच का जिम्मा शिक्षा प्रसार पदाधिकारी प्रीति कुमारी को दिया गया। लेकिन जांच नहीं हो पाई है। जिस पर बीईईओ प्रीति कुमारी का कहना है कि उन्हें विशुनपुर और घाघरा प्रखंड का अतिरिक्त प्रभार मिला है। काम की जिम्मेदारी ज्यादा होने की वजह से वह जांच नहीं कर पाई है। हालांकि जल्द ही जांच कर इस पूरे मामले के दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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