बेलगावी (कर्नाटक), 22 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक विधानसभा में बुधवार को सदन के कामकाज के नियमन के तरीकों पर चर्चा हुई ताकि सदस्यों की अधिक हिस्सेदारी से चर्चा सार्थक हो सके। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगडे कागेरी ने विधायकों का ध्यान उनके दायित्वों और आचरण की ओर दिलाया और आगाह किया कि ‘‘ आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।’’
इस दौरान कई विधायकों ने विधानसभा सत्र की अवधि को लंबा रखने का सरकार से अनुरोध किया। इस पर मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई ने कहा कि सरकार भविष्य में इस बारे में विचार करेगी।
कागेरी ने कहा, ‘‘इस सदन को बहुत गंभीरता से सोचना होगा…इस सदन का सम्मान और मर्यादा है, यह वह मंदिर है जो लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करता हैं और हमारा आचरण इसके अनुकूल होना चाहिए।’’
विधानसभा में उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस प्रणाली को मजबूत करें, अगर हम अपनी जिम्मेदारी भूल जाएंगे और इस प्रणाली में अराजकता पैदा करेंगे तो भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। हमारे बड़ों ने इस प्रणाली को बनाने के लिए बहुत बलिदान दिया है और पीड़ा सही है।’’
कागेरी ने कहा, ‘‘अगर हम इस संसदीय और लोकतांत्रिक प्रणाली को हल्के में लेंगे तो अराजकता पैदा होगी और इसे हटा देगी। विधायिका, पार्टियों को जिम्मेदार होना होगा और समाज को दिखाना होगा कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी। जनता का भरोसा हम पर से और व्यवस्था से नहीं खोना चाहिए।’’
राज्य के विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री जेसी मधुस्वामी द्वारा उठाए गए मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए विधानसभा अध्यक्ष सदन में चल रही कार्यवाही के ढंग और कुछ विधायकों के आचरण पर नाखुशी जतायी।
उल्लेखनीय है कि कई विधायक शून्यकाल के दौरान विधानसभा में बोलना चाहते थे, जिस पर मधुस्वामी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सदन इस तरह से नहीं चल सकता है,जब हर कोई प्रश्नकाल और शून्यकाल और ‘‘ ध्यान आकर्षण’के दौरान चर्चा पर बोलना चाहता है।
विधानसभा अध्यक्ष ने भी कहा कि सभी सदस्य अपना मुद्दा उठाने और बहस में हिस्सा लेने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं जिससे उन पर काफी दबाव है। उन्होंने कहा कि ऐसा इच्छाएं स्वभाविक हैं किंतु कुछ नियम भी होते हैं।
इस पर हस्तक्षेप करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक रमेश कुमार ने कहा कि जब नयी विधानसभा निर्वाचित होती है तो विधायकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होता है लेकिन कोई उसमें शामिल नहीं होता, यहां तक कि सचेतक भी विधायकों की उपस्थिति को नहीं देखते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने ध्यानाकर्षण? शून्य काल और प्रश्नकाल को चर्चा में बदल दिया है…सभी दलों की जिम्मेदारी है। हमें नियमावली और प्रक्रिया को पहले पढ़ना होगा….अगर हर कोई सहयोग नहीं करेगा तो विधानसभा अध्यक्ष अकेले कैसे सदन चला सकता है।’’
जद (एस) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमास्वामी ने आसन से किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए समय निर्धारित करने का सुझाव दिया और भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी सहयोग करने के लिए तैयार है।
कांग्रेस विधायक कृष्णा बयरे गौड़ा ने भी कहा कि सदन को नियमों के तहत चलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि विधायकों को भी अपने क्षेत्र का मुद्दा उठाने के लिए उचित मौका दिया जाना चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को सदन को उचित तरीके से नियंत्रित करना चाहिए और मजबूती से फैसला करना चाहिए कि किन मुद्दों को अनुमति दी जाएगी और किन्हें नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘आप मजबूत फैसला लीजिए, हम सहयोग करेंगे।’’
मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई ने हस्तक्षेप करते हुए जद(एस) नेता एच डी रेवन्ना के बहस के लिए समय तय करने के सुझाव का स्वागत किया।
भाषा धीरज माधव
माधव
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