नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने फॉरेंसिक साक्ष्यों को संग्रहित करने और इसके निष्पादन के संबंध में एक मानक संचालन प्रकिया (एसओपी) तैयार की है। इसे तैयार करने का मकसद है कि महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में अभियोजन कारगर तरीके से दोषसिद्धि साबित कर पाए।
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद एसओपी तैयार की गयी है। इसे विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी भेजा गया है ताकि इसके क्रियान्वयन के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किया जा सके।
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में अभियोजन द्वारा प्रभावी तरीके से दोषसिद्धि के लिए वैज्ञानिक-फॉरेंसिक साक्ष्यों को जुटाने और निष्पादन के संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की है।’’
एसओपी को सात खंड में बांटा गया है। इसमें पीड़ित की देखभाल करने, त्वरित कदम उठाने और जांच करने, नमूनों को संग्रहित करने, रक्त और मूत्र के नमूनों का संग्रहण,एफएसएल को नमूने सौंपने के संबंध में तथा कुछ आम दिशा-निर्देश दिए गए हैं ।
बयान में कहा गया कि दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के कई मामलों पर गौर करने के बाद आयोग ने यह एसओपी तैयार की है। ऐसा देखा गया है कि कई बार चिकित्सकीय परीक्षण, फॉरेंसिक नमूनों के संग्रहण में देरी हो जाती है ।
मानवाधिकार आयोग ने कहा कि फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) को नमूना भेजने में कई बार देरी हो जाती है और नमूने सही नहीं रहने पर जांच पर इसका असर पड़ता है ।
एनएचआरसी ने उम्मीद जतायी है यह एसओपी लागू करने पर देश में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में चिकित्सा-विधि जांच की प्रणाली बेहतर करने में मदद मिलेगी।
भाषा आशीष उमा
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