बांकुड़ा (पश्चिम बंगाल), 28 फरवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने नंदीग्राम और सिंगूर में अतीत में हुए भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलनों और संदेशखालि में हो रहे मौजूदा आंदोलनों के बीच समानताएं प्रदर्शित करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कोशिशों को खारिज करते हुए कहा कि दोनों की तुलना नहीं की जा सकती।
बनर्जी ने हालांकि अपनी इस टिप्पणी के वक्त सावधानी बरतते हुए संदेशखालि का प्रत्यक्ष रूप से नाम नहीं लिया।
मुख्यमंत्री ने बांकुड़ा में एक प्रशासनिक समीक्षा बैठक में कहा, ‘‘याद रखें कि सिंगूर-सिंगूर है, नंदीग्राम-नंदीग्राम और बिष्णुपुर बिष्णुपुर है…। प्रत्येक स्थान की अपनी विशेषताएं हैं। इसलिए एक की दूसरे से तुलना न करें।’’
बनर्जी ने कहा, ‘‘हिंसा भड़काने की गलती नहीं करें। मैं कहीं भी कोई खून-खराबा और यातना की कोई घटना नहीं चाहती। मैं किसी भी गलत काम का समर्थन नहीं करती और मैं जीवन में कभी ऐसा नहीं करूंगी। भले ही कहीं अनजाने में भी कुछ गलती हुई होगी तो भी मैं इसका समर्थन नहीं करती।’’
हाल के दिनों में कई भाजपा नेताओं ने 2007-08 में नंदीग्राम और सिंगूर में भूमि अधिग्रहण-विरोधी आंदोलनों की समानताएं दिखाकर सत्तारूढ़ तृणमूल सरकार को घेरने की कोशिश की है।
यद्यपि उन आंदोलनों ने बनर्जी को पूर्ववर्ती सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को मात देकर राज्य की सत्ता तक पहुंचाया, लेकिन अब भाजपा ने दावा किया कि वर्तमान संदेशखालि आंदोलन मुख्यमंत्री के खिलाफ जारी लहर का संकेत देता है।
नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शनिवार को राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, ”संदेशखालि में स्थिति नंदीग्राम जैसी है। नंदीग्राम में लोगों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और यहां लोग जमीन हड़पने के खिलाफ लड़ रहे हैं। यहां यौन-उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं के आंदोलन के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है, लेकिन संदेशखालि में ज़मीन कब्ज़ा करना दूसरा सबसे आम आरोप है।’’
संयोगवश शुभेंदु अधिकारी 16 साल पहले नंदीग्राम में आंदोलन के वक्त बनर्जी के साथ थे और उस वक्त उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन का नेतृत्व किया था।
बनर्जी ने कहा कि राज्य में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक सिख अधिकारी को खालिस्तानी कहना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का असली सांप्रदायिक चेहरा दिखाता है।
उन्होंने कहा, ”जब उन्होंने (भाजपा कार्यकर्ताओं ने) एक सिख आईपीएएस अधिकारी को पगड़ी पहने देखा तो उसे खालिस्तानी कह दिया। यह भाजपा का असली सांप्रदायिक चेहरा दिखाता है।”
राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी को उत्तर 24 परगना जिले के अशांत संदेशखालि क्षेत्र का दौरा करने से रोकने के लिए तैनात एक सिख आईपीएस अधिकारी ने पिछले हफ्ते उन्हें (आईपीएस अधिकारी को) कथित तौर पर ‘खालिस्तानी’ करार देने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं की आलोचना की थी।
शुभेंदु अधिकारी के साथ मौजूद भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने दावा किया कि संबंधित पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे, लेकिन उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि भाजपा समर्थकों ने उन्हें ‘खालिस्तानी’ कहा था।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित कई राज्य उनकी कल्याणकारी योजनाओं की नकल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ”भाजपा कहती है कि हमने राज्य के विकास के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन सच यह है कि कई भाजपा शासित राज्य हमारी परियोजनाओं की नकल कर रहे हैं।”
भाषा सुरेश अविनाश
अविनाश