जानते हुए भी नाबालिग के खिलाफ यौन उत्पीड़न की सूचना न देना गंभीर अपराध: सुप्रीम कोर्ट

Non-reporting sexual assault नाबालिग के खिलाफ यौन उत्पीड़न की सूचना नहीं देना एक गंभीर अपराध और अपराधियों को बचाने का प्रयास है

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  • Publish Date - November 3, 2022 / 08:54 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

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नयी दिल्ली: Non-reporting sexual assault उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जानकारी के बावजूद नाबालिग के खिलाफ यौन उत्पीड़न की सूचना नहीं देना एक गंभीर अपराध और अपराधियों को बचाने का प्रयास है। न्यायालय ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत अपराध होने की त्वरित और उचित जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है और ऐसा न कर पाना कानून के उद्देश्य और प्रयोजन को विफल कर देगी।

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Non-reporting sexual assault शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के पिछले साल अप्रैल में दिये गये उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें उसने एक चिकित्सक के खिलाफ प्राथमिकी और आरोप पत्र को रद्द कर दिया था जिसने एक छात्रावास में कई नाबालिग लड़कियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की जानकारी होने के बावजूद प्राधिकरण को सूचित नहीं किया था। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि यह सच है कि मामले में अन्य आरोपियों के संबंध में प्राथमिकी और आरोपपत्र अभी भी बाकी है।

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पीठ ने अपने 28 पन्नों के फैसले में कहा, ‘’…जानकारी के बावजूद नाबालिग बच्चे के खिलाफ यौन हमले की रिपोर्ट न करना एक गंभीर अपराध है और अक्सर यह यौन उत्पीड़न के अपराध के अपराधियों को बचाने का एक प्रयास है।’’ उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ, पुलिस के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक अपील पर शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाया।

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पीठ ने यह भी कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि 17 नाबालिग लड़कियों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया था और छात्रावास में भर्ती लड़कियों के इलाज के लिए चिकित्सक को नियुक्त किया गया था। इसने कहा कि पुलिस का मामला यह है कि 17 पीड़ितों में से कुछ ने बयान दिया है कि चिकित्सक को उन पर यौन हमले की सूचना दी गई थी।

 

 

 

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