संसदीय समिति ने लोकपाल की जांच, अभियोजन शाखाओं को शुरू करने के लिए कदम उठाने का सुझाव दिया

संसदीय समिति ने लोकपाल की जांच, अभियोजन शाखाओं को शुरू करने के लिए कदम उठाने का सुझाव दिया

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  • Publish Date - December 4, 2025 / 09:25 PM IST,
    Updated On - December 4, 2025 / 09:25 PM IST

नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) संसद की एक समिति ने लोकपाल की जांच और अभियोजन शाखाओं को शुरू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का बृहस्पतिवार को सुझाव दिया, ताकि वह बिना किसी और देरी के अपने वैधानिक दायित्व का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सके।

भ्रष्टाचार रोधी लोकपाल से संबंधित कानून — लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 — एक जनवरी 2014 को लागू हुआ था। हालांकि, इसने अपने अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद 27 मार्च 2019 से कार्य करना शुरू किया।

अधिनियम की धारा 11 के तहत भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधों की प्रारंभिक पड़ताल के उद्देश्य से एक जांच निदेशक की अध्यक्षता में अन्वेषण शाखा के गठन का प्रावधान है, ताकि निकाय अपने वैधानिक दायित्वों का निर्वहन कर सके।

लोकपाल अधिनियम में लोक सेवकों के खिलाफ अभियोजन के लिए ‘अभियोजन निदेशक’ की अध्यक्षता में एक अभियोजन शाखा के गठन का भी प्रावधान है।

नियमित नियुक्तियां होने तक प्रतिनियुक्ति-आधारित व्यवस्था का उपयोग करने के लिए किए गए अंतरिम प्रयासों का उल्लेख करते हुए, समिति ने कहा कि ‘‘इन वैधानिक शाखाओं का संचालन अब भी अधूरा है।’’

कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी संसदीय समिति की 159वीं रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की गई, जिसमें यह बात कही गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, लोकपाल ने 5 सितंबर 2024 को एक जांच शाखा का गठन किया और वह अपनी शाखा द्वारा जांच के संचालन के लिए विधायी मंशा के मद्देनजर सेवारत अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त करने के विकल्प पर भी विचार कर रहा है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 से उत्पन्न मामलों की सुनवाई के लिए 2013 के अधिनियम की धारा 35 के तहत विशेष अदालत के गठन के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से लोकपाल के अनुरोध की वस्तु स्थिति के बारे में भी जानकारी मांगी है।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश