नई दिल्ली, 28 अगस्त । महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता का मानना था कि उत्तराखंड की पारंपरिक काली टोपी, जो वह पहनते हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी है और हिंदुत्व के विचारक वीर सावरकर संघ से थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पुस्तक ‘‘भारतीय संसद में भगत सिंह कोश्यारी’’ के विमोचन के मौके पर कहा कि सरकार को संसद के पिछले सत्र में उस तरह की स्थिति से निपटना होगा, जब उनके जैसे लोग (राहुल गांधी के संदर्भ में) विपक्ष का नेतृत्व कर रहे हैं। पुस्तक का विमोचन यहां कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में किया गया और इस मौके पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अश्विनी कुमार चौबे, कोश्यारी और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्याम जाजू मौजूद थे।
चाणक्य वार्ता प्रकाशन समूह ने कोश्यारी द्वारा भारतीय संसद के दोनों सदनों राज्यसभा एवं लोकसभा में दिए गए भाषणों का संकलन प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में कोश्यारी द्वारा याचिका समिति के अध्यक्ष के रूप में लिए गए अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों की रिपोर्ट भी प्रकाशित की गई है। 450 पृष्ठों की इस पुस्तक में कोश्यारी के जीवन से जुड़े हुए महत्वपूर्ण छायाचित्रों को भी संकलित किया गया है। यह पुस्तक चार खंडों में विभाजित है। कोश्यारी के भाषण से पहले, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सत्र में विपक्ष के आचरण की आलोचना की। उन्होंने संसद में एक सांसद के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल की ‘‘ईमानदार और सम्मानजनक’’ भूमिका की सराहना की। गोयल ने कहा कि संसद में जो कुछ हुआ, उससे उन्हें दुख हुआ होगा।
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संसद के पिछले मॉनसून सत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े एक विधेयक पर चर्चा को छोड़कर संयुक्त विपक्ष के हंगामे के कारण ज्यादातर समय कार्यवाही बाधित रही। विपक्ष ने संसद में गतिरोध के लिए सरकार पर असंसदीय आचरण का आरोप लगाया है। अपने भाषण में कोश्यारी ने कहा कि बहुत से लोग उनकी काली टोपी को देखकर उसी तरह प्रतिक्रिया देंगे जैसे एक बैल लाल कपड़ा दिखाने पर करता है। उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने मुझसे (तत्कालीन भाजपा सांसद) पूछा कि आप काली टोपी क्यों पहनते हैं? मैंने उनसे कहा कि लोग इसे उत्तराखंड में पहनते हैं। वह कहते हैं, ‘नहीं, नहीं, आप आरएसएस से हैं’। मैंने कहा कि मैं आरएसएस से हूं लेकिन टोपी उत्तराखंड की है। आरएसएस की स्थापना से पहले से लोग इसे वहां पहनते आए हैं।’’
उन्होंने कहा कि कुछ महीने बाद, कांग्रेस नेता ने संसद में कुछ सांसदों के साथ बातचीत के दौरान फिर से उनसे टोपी के बारे में पूछा। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मुझसे फिर पूछा कि आप काली टोपी क्यों पहनते हैं… उन्होंने कहा कि यह आरएसएस की टोपी है। मैंने उनसे कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि यह आरएसएस की टोपी नहीं है। उन्होंने फिर भी जोर दिया। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने आरएसएस के बारे में कुछ पढ़ा है? उन्होंने कहा, ‘हां, हां, मैंने सावरकर के बारे में पढ़ा है’… पीयूष जी जब ऐसे लोग नेतृत्व में होंगे तो आपको इस हंगामे और हर चीज के लिए तैयार रहना होगा।’’ उन्होंने कहा कि हालांकि सावरकर हिंदुत्व के विचारक हैं, लेकिन वे कभी भी आरएसएस में नहीं थे। कोश्यारी (79) ने जहां गांधी का मजाक उड़ाया, वहीं उन्होंने कांग्रेस नेता जयराम रमेश की प्रशंसा की।
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कोश्यारी ने याद किया कि पर्यावरण पर एक संसदीय चर्चा के दौरान, रमेश, जो उस समय पर्यावरण मंत्री थे, ने अध्यक्ष से उन्हें बोलने के लिए और समय देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जब अध्यक्ष ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, तो उन्हें अपना भाषण समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा तो रमेश उनके पास आये और कहा कि वह निर्धारित दिन के बजाय अगले दिन बहस का जवाब देंगे।