न्यायालय ने पॉक्सो के तहत 16-18 आयुवर्ग वालों की आपसी यौन सहमति को वैधता पर केंद्र से रुख पूछा

न्यायालय ने पॉक्सो के तहत 16-18 आयुवर्ग वालों की आपसी यौन सहमति को वैधता पर केंद्र से रुख पूछा

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  • Publish Date - February 17, 2023 / 08:56 PM IST,
    Updated On - February 17, 2023 / 08:56 PM IST

नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आपसी सहमति से यौन संबंध स्थापित करने के लिए 16-18 साल के किशोरों द्वारा दी गयी सहमति को वैध करार देने की मांग संबंधी एक याचिका पर केंद्र सरकार का जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की अगुवाई वाली पीठ ने 21 वर्षीय एक व्यक्ति की याचिका पर नोटिस जारी किया है। इस व्यक्ति पर एक नाबालिग लड़की के साथ कथित सहमति से रोमांटिक संबंध स्थापित करने को लेकर पोक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने और ‘पीड़िता’ ने परस्पर मर्जी से यौन संबंध बनाया और इसमें बल प्रयोग का कोई साक्ष्य नहीं है एवं प्राथमिकी बस लड़की के परिवार के आदेश पर दर्ज की गयी है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि 16-18 साल के लोग सहमति देने में समर्थ हैं , ऐसे में अपनी महिला साथी की सहमति पर यौन संबंध बनाने पर निर्दोष किशोरों को फटकारना प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध है।

उसने तर्क दिया कि इस प्रकार उन्होंने तर्क दिया कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधान जोकि 16-18 वर्ष की आयु के बच्चों की वैध सहमति को मान्यता देने में विफल हैं, को असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए।

अदालत ने इस याचिका पर राज्य का पक्ष भी पूछा है जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को भी चुनौती दी गई थी।

अदालत ने नोटिस जारी करने के आदेश देते हुए केंद्र और राज्य को चार हफ्तों के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को नियत की है।

भाषा

राजकुमार पवनेश

पवनेश