सात साल में कुत्ता काटने की घटनाओं के आंकड़े पेश करने का एडब्ल्यूबीआई को न्यायालय का निर्देश

सात साल में कुत्ता काटने की घटनाओं के आंकड़े पेश करने का एडब्ल्यूबीआई को न्यायालय का निर्देश

  •  
  • Publish Date - October 12, 2022 / 04:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) को देशभर में पिछले सात वर्षों में कुत्तों के काटने की घटनाओं और इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर आंकड़े पेश करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने एडब्ल्यूबीआई को ब्योरे का उल्लेख करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही यह संकेत देने को कहा कि क्या वह इस बात को पसंद करेगी कि अदालत की ओर से दिशानिर्देश जारी किए जाएं।

शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका 2015 का आदेश अधिकारियों, पंजीकृत समितियों अथवा अन्य व्यक्तियों को उच्च न्यायालयों या क्षेत्राधिकार वाली अदालतों में जाने से प्रतिबंधित नहीं करता है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि उक्त आदेश में इस अदालत की मंशा यह है कि उच्च न्यायालयों, दीवानी अदालतों और अधिकारियों के समक्ष लंबित सभी रिट याचिकाएं या कार्यवाही रुक जाए और आवारा कुत्तों से संबंधित मामलों में उच्च न्यायालयों की ओर से कोई प्रभावी आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।’’

शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि लोगों की सुरक्षा और जानवरों के अधिकारों के बीच एक संतुलन बनाए रखा जाना चाहिए और सुझाव दिया था कि जो लोग आवारा कुत्तों को खिलाते हैं, उन्हें टीकाकरण और इलाज का खर्च वहन करने के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है, यदि किसी पर संबंधित जानवर द्वारा हमला किया जाता है।

न्यायालय खतरा बन चुके आवारा कुत्तों को मारने पर विभिन्न नगर निकायों द्वारा पारित आदेशों से संबंधित मुद्दों पर याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है, खासकर केरल और मुंबई में।

कुछ गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं ने बंबई उच्च न्यायालय और केरल उच्च न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों के फैसलों के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, ताकि निगम अधिकारियों को नियमों के अनुसार आवारा कुत्तों के खतरे से निपटने की अनुमति मिल सके।

भाषा सुरेश माधव

माधव