महिला मंत्री पर ‘अपमानजनक’ टिप्पणी के मामले को रद्द करने की भाजपा नेता रवि की याचिका खारिज

महिला मंत्री पर ‘अपमानजनक’ टिप्पणी के मामले को रद्द करने की भाजपा नेता रवि की याचिका खारिज

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  • Publish Date - May 2, 2025 / 09:56 PM IST,
    Updated On - May 2, 2025 / 09:56 PM IST

बेंगलुरु, दो मई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा एमएलसी सी टी रवि की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पिछले साल बेलगावी में विधान परिषद के अंदर मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के खिलाफ ‘‘अपमानजनक’’ टिप्पणी करने के लिए उनके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।

न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि कथित टिप्पणी या इशारा वास्तव में शिकायतकर्ता – जो एक महिला है – के लिए किया गया था, तो इसे उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के रूप में देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इस तरह के कृत्य का विधानमंडल की आधिकारिक कार्यवाही से कोई संबंध नहीं है।

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘इससे कोई संबंध नहीं है, कोई विशेषाधिकार नहीं है।’’

इससे पहले, रवि की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी ने दलील कि उनके मुवक्किल को संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत संरक्षण प्राप्त है, जो विधायकों को सदन के भीतर कही गई किसी भी बात या वोट के लिए प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि विधायिका में दिया गया कोई भी आपत्तिजनक बयान सदन के अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आना चाहिए और आपराधिक कार्यवाही के अधीन नहीं होना चाहिए।

हालांकि, विशेष लोक अभियोजक बेलियप्पा ने इस दलील का खंडन करते हुए उच्चतम न्यायालय के कई निर्णयों का हवाला दिया, जिनमें स्पष्ट किया गया है कि संसदीय विशेषाधिकार निरपेक्ष नहीं है।

रवि को 19 दिसंबर, 2024 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 75 और 79 के तहत गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने आपराधिक मामले को रद्द करने के लिए याचिका दायर की।

भाषा शफीक रंजन

रंजन