नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अपने उस आदेश की समीक्षा का आग्रह खारिज कर दिया है, जिसमें मौजूदा चुनाव प्रणाली में मतदाता गोपनीयता के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि आदेश की समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है।
इसने समीक्षा याचिका की खुली अदालत में सुनवाई के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने समीक्षा याचिका और उसके समर्थन के आधारों का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया है। हमारी राय में 17 मई 2024 के आदेश की समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है। तदनुसार, समीक्षा याचिका खारिज की जाती है।’’
शीर्ष अदालत सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रबंध निदेशक एग्नोस्टो थियोस की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 17 मई के आदेश की समीक्षा का आग्रह किया गया था।
थियोस ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया था कि मतदान अधिकारी वीवीपैट पर्चियों और मतदान उपकरण में संग्रहीत डेटा को देख सकता है, जिससे मतदाता गोपनीयता का उल्लंघन होता है।
उन्होंने दावा किया था, ‘‘वीवीपैट पर्चियों और ईवीएम के डेटा से (पीठासीन) अधिकारी यह पहचान सकता है कि किस मतदाता ने किस पार्टी को वोट दिया है।’’
शीर्ष अदालत ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर पर संदेह को ‘‘निराधार’’ करार देते हुए पुरानी मतपत्र प्रणाली बहाल किए जाने के आग्रह को खारिज कर दिया था। इसने माना था कि मतदान उपकरण ‘सुरक्षित’ हैं और ये ‘बूथ कैप्चरिंग’ तथा फर्जी मतदान को रोकते हैं।
भाषा नेत्रपाल सुरेश
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