नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नियम बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा दिया जा सके।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर केंद्र, निर्वाचन आयोग और भारतीय विधि आयोग को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति कांत ने नोटिस जारी करने की इच्छा जताते हुए यह संकेत दिया कि याचिका में किसी भी राजनीतिक दल को पक्षकार नहीं बनाया गया है।
पीठ ने उपाध्याय से कहा, ‘‘वे (दल) कहेंगे कि आप उनके विनियमन की बात कर रहे हैं, जबकि वे यहां उपस्थित ही नहीं थे।’’
इसके साथ ही न्यायालय ने उन्हें निर्देश दिया कि चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत सभी राष्ट्रीय दलों को याचिका में पक्षकार बनाया जाए।
उपाध्याय की याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘‘फर्जी राजनीतिक दल’’ न केवल लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं, बल्कि कुख्यात अपराधियों, अपहरणकर्ताओं, मादक पदार्थ तस्करों और धन शोधन करने वालों से भारी रकम लेकर उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त करके देश की छवि को भी खराब करते हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘‘राजनीतिक दलों के लिए कोई नियम-कानून नहीं हैं। इसलिए, कई अलगाववादियों ने चंदा इकट्ठा करने के लिए अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली है। इन दलों के कुछ पदाधिकारी पुलिस सुरक्षा पाने में भी कामयाब रहे हैं।’’
भाषा शफीक पवनेश
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