केन्द्रीय मंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन की खबर सुनकर स्तब्ध हूं: कोविंद

केन्द्रीय मंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन की खबर सुनकर स्तब्ध हूं: कोविंद

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  • Publish Date - September 23, 2020 / 07:29 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि वह रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन की खबर से स्तब्ध हैं। राष्ट्रपति ने अंगड़ी को एक सर्वप्रिय नेता बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने ससंदीय क्षेत्र बेलगावी और कर्नाटक की जनता के लिये अथक कार्य किये।

अंगड़ी (65) कुछ दिन पहले कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे, बुधवार रात करीब आठ बजे यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनका निधन हो गया।

कोविंद ने ट्वीट किया, ”केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री श्री सुरेश अंगड़ी के निधन के बारे में जानकर स्तब्ध हूं। श्री अंगड़ी एक सर्वप्रिय नेता थे, जिन्होंने अपने ससंदीय क्षेत्र बेलगावी और कर्नाटक की जनता के लिये अथक कार्य किये।”

राष्ट्रपति ने एक और ट्वीट किया, ”उन्होंने अपनी अदम्य भावना के साथ, विनम्रता और दृढ़ता से लोक सेवा की। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रियजनों के साथ हैं।”

अंगड़ी 2004 से लगातार चार बार बेलगावी सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। 65 वर्षीय अंगड़ी के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। वह युवावस्था में ही आरएसएस से जुड़ गए थे।

अंगड़ी का जन्म 1 जून 1955 को बेलगावी जिले के कोप्पा गांव में सोमव्वा और चन्नाबसप्पा अंगड़ी के घर में हुआ। उसी जिले के एसएसएस समिति कॉलेज ऑफ कॉमर्स से उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की। उन्होंने बेलगावी के राजा लखमगौड़ा विधि कॉलेज से कानून में स्नातक की पढ़ाई की।

पेशे से कारोबारी अंगड़ी को उनके राजनीतिक करियर में बड़ा ब्रेक भाजपा की बेलगावी इकाई का उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद मिला। वह 2004 के चुनाव में बेलगावी लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार बनने तक इस पद पर रहे। इसके बाद उन्होंने बेलगावी सीट से 2009, 2014 और 2019 का चुनाव भी जीता ।

वह एक शिक्षाविद भी रहे और बेलगावी स्थित सुरेश अंगड़ी शिक्षा फाउंडेशन के प्रमुख भी थे, जो कई कॉलेजों का संचालन करती है।

बेंगलुरू और कर्नाटक को लेकर उनके पास बड़ी योजना थी। अंगड़ी ने बेंगलुरु में उपनगरीय रेल परियोजना को साकार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो शहर के लोगों की काफी समय से लंबित मांग थी।

भाषा जोहेब मानसी

मानसी