यूनेस्को की प्रमुख बैठक के लिए लाल किले में भारत की अमूर्त विरासत का प्रदर्शन

यूनेस्को की प्रमुख बैठक के लिए लाल किले में भारत की अमूर्त विरासत का प्रदर्शन

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  • Publish Date - December 7, 2025 / 08:18 PM IST,
    Updated On - December 7, 2025 / 08:18 PM IST

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) भारत ने रविवार शाम लाल किला परिसर में यूनेस्को की एक महत्वपूर्ण बैठक के उद्घाटन समारोह के दौरान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया, जिसमें विषय आधारित प्रदर्शनी दीर्घाओं (गैलरी) से लेकर मंचीय कलाओं को शामिल किया गया। यह बैठक ‘अमूर्त विरासत के संरक्षण’ पर केंद्रित है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति (आईसीएच) का 20वां सत्र आठ से 13 दिसंबर तक लाल किले में आयोजित होगा।

यह पहली बार है, जब भारत यूनेस्को पैनल के किसी सत्र की मेजबानी कर रहा है। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को के महानिदेशक खालिद अल-एनानी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और यूनेस्को में भारत के राजदूत एवं स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा शामिल हुए।

यूनेस्को के मुताबिक, इस सत्र में यूनेस्को की आईसीएच सूचियों में शामिल किए जाने के लिए सदस्य देशों की ओर से पेश नामांकनों की जांच की जाएगी, मौजूदा तत्वों की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता प्रदान की जाएगी।

विशाल वी शर्मा सत्र की अध्यक्षता करेंगे। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही अतिथियों का स्वागत पारंपरिक मैसुरु टोपी और पटके (गमछा या दुपट्टा) से किया गया। बाहर कलाकारों ने पंजाब के भांगड़ा, असम के बिहू और आदिवासी नृत्य की प्रस्तुतियां दीं।

राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय और अन्य द्वारा ब्रिटिशकालीन बैरकों में स्थापित प्रदर्शनी गैलरी दुनिया भर से यहां एकत्रित प्रतिनिधियों को आनंदित करेंगी।

यूनेस्को सूची में शामिल भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की झांकी, जैसे कोलकाता का दुर्गा पूजा उत्सव और गुजरात का गरबा, इस आयोजन स्थल पर प्रदर्शित किया गया।

अपने संबोधन में, शेखावत ने कहा कि लाल किला भारत में जीवन की निरंतरता का एक प्रतिष्ठित साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का इस सम्मेलन की मेजबानी करना न केवल गर्व की बात है, बल्कि यह याद दिलाता है कि सांस्कृतिक नैतिकता उसके समृद्ध अतीत में प्रतिध्वनित होती है।

शेखावत ने कहा, ‘‘यह आयोजन सभ्यताओं पर केंद्रित संवाद का द्वार है।’’

राजदूत शर्मा ने भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर जोर दिया और कहा, ‘‘समुदाय विरासत की धड़कन हैं।’’

उन्होंने कहा कि पांच दिसंबर को केंद्रीय संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा था कि भारत के नामांकन ‘दीपावली उत्सव’ को 10 दिसंबर को यूनेस्को की बैठक के दौरान जांचा जाएगा, ताकि इसे मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया जा सके।

अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ‘‘हमें सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।’’

नामांकन के लिए मसौदा 2023 में पेश किया गया था। भारत ने 2024-25 चक्र के लिए नामांकन भेजा था।

वर्तमान में भारत की 15 चीजें मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी यूनेस्को की प्रतिष्ठित प्रतिनिधि सूची में शामिल हैं। इनमें कुंभ मेला, दुर्गा पूजा उत्सव, गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रोच्चारण की परंपरा और रामलीला (रामायण का पारंपरिक मंचन) शामिल हैं।

अग्रवाल ने कहा था कि इस आयोजन में 190 देशों के 1,000 से अधिक प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है। आयोजन के मद्देनजर 17वीं सदी के इस किला परिसर को 5 से 14 दिसंबर तक आम दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया है।

भाषा संतोष पारुल

पारुल