सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी, फिर भी भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्सर्जक

सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी, फिर भी भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्सर्जक

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  • Publish Date - October 8, 2020 / 08:17 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) भारत के सल्फर डाइऑक्साइड (एसओटू) उत्सर्जन में 2018 के मुकाबले 2019 में करीब छह फीसदी की उल्लेखनीय कमी आई है। बीते चार साल में एसओटी उत्सर्जन में आई यह सबसे बड़ी कमी है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया।

उत्सर्जन में कमी के बावजूद भारत लगातार पांचवे साल सबसे ज्यादा सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाला देश बना हुआ है।

‘ग्रीनपीस इंडिया’ और ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एजर्नी ऐंड क्लीन एयर’ (सीआरईए) के विश्लेषण पर आधारित रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई।

सल्फर डाइऑक्साइड विषैला वायु प्रदूषक होता है जो मस्तिष्काघात, ह्रदयरोग, फेफड़ों का कैंसर और असमय मौत की जोखिम बढ़ाता है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत में 2019 हुआ मानवजनित एसओटू उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन का 21 फीसदी था और यह दूसरे सबसे ज्यादा उत्सर्जन करने वाले देश रूस के मुकाबले दोगुना है।’’

इसमें कहा गया कि चीन सर्वाधिक उत्सर्जन करने वाला तीसरा देश है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत मे एसओटू का सर्वाधिक उत्सर्जन सिंगरौली, नेवेली, सीपत, मुंद्रा, कोरबा, बोंडा, तमनार, तालचेर, झारसुगुडा, कच्छ, सूरत, चेन्नई, रामगुंडम, चंद्रपुर, विशाखापत्तन और कोराडी स्थित थर्मल पॉवर संयंत्रों से होता है।

रिपोर्ट में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उन्नति करने के लिए भारत की प्रशंसा भी की गई।

ग्रीनपीस इंडिया के ‘क्लाइमेट कैंपेनर’ अविनाश चंचल ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता भले बढ़ी हो लेकिन वायु गुणवत्ता अब भी सुरक्षित नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में, देखा जा सकता है कि कोयले के इस्तेमाल में कमी लाकर वायु गुणवत्ता तथा सेहत को किसी प्रकार प्रभावित किया जा सकता है। 2019 में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाई गई, कोयले पर निर्भरता घटाई गई जिसके परिणामस्वरूप हमने वायु गुणवत्ता में सुधार देखा। लेकिन हमारी वायु अब भी सुरक्षित नहीं है।’’

भाषा

मानसी शाहिद

शाहिद