Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग को ठुकराया, 5 जजों की पीठ करेगी मामले की सुनवाई…

Supreme Court rejects govt demand on sedition law संविधान पीठ ने राजद्रोह कानून की वैधता को बरकरार रखा था है।

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  • Publish Date - September 13, 2023 / 09:51 AM IST,
    Updated On - September 13, 2023 / 09:51 AM IST

Supreme Court rejects govt demand on sedition law: नई दिल्ली। राजद्रोह कानून (आईपीसी 124A) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ विचार करेगी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह मामला आगे विचार के लिए संविधान पीठ को भेज दिया है। इस बेंच में 5 या 7 सदस्य होंगे।

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चीफ जस्टिस ने कहा कि 1962 में केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार के मामले में 5 जजों की संविधान पीठ ने राजद्रोह कानून की वैधता को बरकरार रखा था है। चूंकि अभी सुनवाई कर रही बेंच तीन जजों की है, लिहाजा इस छोटी बेंच के लिए उस फैसले पर संदेह करना/समीक्षा करना ठीक नहीं रहेगा।

केंद्र सरकार ने सुनवाई टालने का आग्रह किया

हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि इस मामले की सुनवाई को फिलहाल टाल दिया जाए क्योंकि आपराधिक कानून में प्रस्तावित व्यापक बदलावों पर फिलहाल पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी विचार कर रही है। लिहाजा कोर्ट नए कानून के वजूद में आने का इंतजार कर ले।

चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर सरकार नया कानून भी लाती है तो भी इसके चलते राजद्रोह के पुराने केस खत्म नहीं होंगे। नया कानून सिर्फ आगे के मामलों पर लागू होगा। लिहाजा उसके आने के बावजूद आइपीसी की धारा 124 A की संवैधानिक वैधता का सवाल बने रहेगा।

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7 जजों बेंच में सुनवाई या फिर कानून की दोबारा होगी व्याख्या

Supreme Court rejects govt demand on sedition law: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह की भारतीय दंड संहिता की धारा-124 को असंवैधानिक करार देने की मांग वाली याचिकाओं को पांच सदस्यीय पीठ को सुनवाई के लिए भेजने का आदेश दिया। एसजी ने कहा कि जल्दबाजी ना करें। क्या इंतजार नहीं किया सकता? पिछली सरकार के पास बदलाव का मौका था, लेकिन वे चूक गए। सरकार सुधार के दौर में है।

सीजेआई ने कहा कि आज हम इसे 5 न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष भेजने का आदेश देंगे। पांच न्यायाधीश संदर्भ को बेहतर ढंग से समझा सकते हैं और कार्यान्वयन के तरीके को प्रतिबंधित कर सकते हैं। संविधान पीठ या तो इसे वर्तमान विकास के अनुरूप लाने के लिए केदारनाथ फैसले की व्याख्या कर सकती है।

 

 

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