सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन ने आपदा प्रभावित हिमालयी राज्यों के साथ एकजुटता व्यक्त की

सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन ने आपदा प्रभावित हिमालयी राज्यों के साथ एकजुटता व्यक्त की

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  • Publish Date - September 27, 2025 / 07:42 PM IST,
    Updated On - September 27, 2025 / 07:42 PM IST

देहरादून, 27 सितंबर (भाषा) यहां आयोजित 12वें सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन ने शनिवार को हिमालयी राज्यों में इस बार मानसून के दौरान आईं कई प्राकृतिक आपदाओं का खामियाजा भुगतने वाले लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।

हिमालय को दुनिया की सबसे युवा, सबसे नाजुक और सीमावर्ती पर्वत श्रृंखला बताते हुए सम्मेलन में भाग लेने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कहा कि इन पर्वतों में आपदाएं और पारिस्थितिक चुनौतियां राजनीतिक सीमाओं से परे हैं और इनके लिए समन्वित क्षेत्रीय प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है।

शिखर सम्मेलन के एक हिस्से के तहत आयोजित पर्वतीय विधायकों की बैठक में देहरादून में एक घोषणापत्र जारी किया जिसमें अगले वर्ष मानसून के लिए पहले से तैयारी करने का संकल्प लिया गया, साथ ही भूस्खलन और भूमि धंसाव को रोकने के लिए कई कदम उठाने की सिफारिश की गई।

इस वर्ष अप्रैल से उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ की कई घटनाओं में लगभग 136 लोगों की मौत हो गई, जबकि 149 अन्य घायल हुए तथा 89 लोग लापता हो गए।

इसमें भाग लेने वाले राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त परिषदों और जिलों के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने अपने देहरादून घोषणापत्र में कहा, ‘‘हम भारतीय हिमालयी क्षेत्र में हाल ही में हुई बार-बार की आपदाओं के कारण हुई जान-माल की हानि, परिवारों के प्रभावित होने, संपत्तियों के नष्ट होने और अर्थव्यवस्था की बर्बादी के प्रति गहरा दुख व्यक्त करते हैं तथा व्यापक हिमालयी क्षेत्र में समान संकटों का सामना कर रहे पर्वतीय समुदायों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं।’’

घोषणापत्र में एक स्थायी, समतामूलक और जलवायु-सहिष्णु हिमालय के लिए आवश्यक लगभग एक दर्जन उपायों की भी सिफारिश की गई है जो ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शिखर सम्मेलन में हिमालय के लिए एक नए, विज्ञान-आधारित, लचीले विकास मॉडल को परिभाषित करने का संकल्प लिया गया और नीति आयोग के अंतर्गत भारतीय हिमालयी क्षेत्र के लिए रणनीतिक पर्यावरणीय नियोजन और हरित अवसंरचना के लिए समर्पित प्रकोष्ठ या केंद्र की स्थापना की मांग की गई।

इसमें क्षेत्र की सभी नदी घाटियों का व्यापक मूल्यांकन, ग्लेशियरों की तत्काल निगरानी, ​​हिमनद झीलों के फटने से आने वाली बाढ़ और हिमनदों के पीछे हटने से निचले इलाकों की बस्तियों और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए उत्पन्न जोखिमों पर कार्रवाई का आह्वान किया गया।

यहां 12वां सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन एकीकृत पर्वतीय पहल (आईएमआई) के तत्वावधान में आयोजित किया गया।

भाषा

संतोष पवनेश

पवनेश