भीख मांगकर गुजारा करता था स्वीपर, जब सच्चाई सामने आई तो उड़े सबके होश

Sweeper used to live by begging : हमने अक्सर देखा है कि कई लोग अन्य लोगों उनके कपड़ों और वेश-भूषा से जज करते हैं। लोग किसी के गंदे कपड़े देख कर

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  • Publish Date - May 25, 2022 / 05:32 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:02 PM IST

प्रयागराज : Sweeper used to live by begging : हमने अक्सर देखा है कि कई लोग अन्य लोगों उनके कपड़ों और वेश-भूषा से जज करते हैं। लोग किसी के गंदे कपड़े देख कर उसे गरीब समझ लेता है, लेकिन कभी कभी लोगों का ये अंदाजा गलत भी हो जाता है। प्रयागराज के सीएमओ आफिस कार्यरत एक स्वीपर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।

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करोड़पति निकला स्वीपर

Sweeper used to live by begging : उसको देखकर हर इंसान उसे भिखारी समझता था, वह लोगों से पैसे मांग कर अपने घर का खर्च चलाता है। लेकिन, ऊपर से ऐसा दिखने वाला स्वीपर करोड़पति है यह सुनकर सभी हैरान हो गए। स्वीपर के खाते में 70 लाख रुपये हैं। प्रयागराज में उसके नाम पर जमीन है और मकान भी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि उसने 10 साल से अपनी सैलरी ही नहीं निकाली है।

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पैसे नहीं निकालने से परेशान है बैंक वाले

Sweeper used to live by begging : बैंक वाले पैसा लगातार जमा होने और नहीं निकाले जाने से परेशान हैं। अब वो युवक से सैलरी निकालने की गुजारिश कर रहे हैं, लेकिन स्वीपर का खर्च तो लोगों से पैसे मांगकर चल जाता है। ऐसे में उसे पैसे निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ती। उसकी वेशभूषा और गंदे कपड़ों को देखकर लोग उसे भिखारी समझ लेते हैं। वह लोगों के पैर छूता है तो उसे पैसे भी मिल जाते हैं।

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ऑफिस पहुंचे बैंक वाले तो हुआ खुलासा

Sweeper used to live by begging : दरअसल, स्वीपर का काम करने वाले युवक का नाम धीरज है। धीरज की सच्चाई उस समय सामने आई जब बैंक के कर्मचारी उसे ढूंढते हुए कुष्ठ रोग विभाग पहुंचे। जहां उन्होंने धीरज के बारे में जानकारी मांगी तो कर्मचारियों ने उसे गरीब बताया। इस पर बैंक कर्मचारियों ने कहा कि उसके खाते में मोटी रकम मौजूद है। उसने 10 साल से अपना वेतन ही नहीं निकाला है। धीरज के पास अपना जमीन-मकान होने की भी बात बैंक कर्मियों ने बताई। इसके बाद कर्मचारियों को पता चला कि वह करोड़पति है।

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अनुकंपा के आधार पर मिली है नौकरी

Sweeper used to live by begging : धीरज को यह नौकरी उसके पिता की जगह पर मिली है। धीरज के पिता जिला कुष्ठ रोग विभाग में स्वीपर के पद पर कार्यरत थे और नौकरी के बीच ही उनकी मौत हो गयी। अनुकंपा के आधार पर धीरज को वर्ष 2012 में उनकी जगह पर स्वीपर की नौकरी मिल गई। उसके बाद से अब तक उसने बैंक से सैलरी नहीं निकाली है। लेकिन, खास बात यह है कि धीरज आयकर दाता है और सरकार को इनकम टैक्स जमा करता है। वह अपनी मां और बहन के साथ रहता है। धीरज की अभी शादी नहीं हुई है और वह शादी नहीं करना चाहता। उसे डर है कि कहीं उसके पैसे कोई ले न ले। कुष्ठ रोग विभाग के कर्मचारियों के अनुसार, धीरज दिमागी रूप से कुछ कमजोर है।