(तस्वीरों के साथ)
रांची, एक अगस्त (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को देश के प्रतिभाशाली युवाओं से अपनी तकनीकी शिक्षा का उपयोग समाज की भलाई के लिए करने का आह्वान किया और आग्रह किया कि वे अपनी उपलब्धियों को केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित ना रखें। झारखंड में धनबाद स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-भारतीय खनि विद्यापीठ (आईआईटी-आईएसएम) के 45वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते समय राष्ट्रपति ने कहा कि देश तकनीकी क्षेत्र में सुपरपावर बनने की दिशा में अग्रसर है।
इस मौके पर उन्होंने संस्थान पर विशेष लिफाफे सहित एक विशेष डाक टिकट जारी किया जो संस्थान के 100 गौरवशाली वर्षों की याद दिलाएगा।
मुर्मू ने कहा, ‘‘प्रतिभाशाली युवा मस्तिष्क को भारत के भविष्य को आकार देना चाहिए और सामाजिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। एक न्यायपूर्ण भारत, एक हरित भारत के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें जहां विकास पर्यावरण और प्रकृति की कीमत पर ना हो। भविष्य में आप जो भी करें, उसमें आपकी बुद्धिमत्ता के साथ-साथ आपकी सहानुभूति, उत्कृष्टता और नैतिकता भी झलकनी चाहिए।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि केवल नवाचार ही नहीं, बल्कि करुणा से प्रेरित नवाचार दुनिया को बेहतर बनाता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक तकनीकी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने विद्यार्थियों से नवाचार और ‘स्टार्टअप’ पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत की सबसे बड़ी ताकत उसके विशाल मानव संसाधन हैं। तकनीकी शिक्षा तक बढ़ती पहुंच और डिजिटल कौशल का प्रसार देश को एक तकनीकी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रहा है। भारत की शिक्षा प्रणाली को और अधिक व्यावहारिक, नवाचार-केंद्रित और उद्योग-अनुकूल बनाने से देश के युवाओं की प्रतिभा को सही दिशा मिलेगी और वे वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ सकेंगे।’’
मुर्मू ने कहा कि देश और दुनिया जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी से लेकर डिजिटल व्यवधान और सामाजिक असमानता तक कई जटिल और तेजी से बदलती चुनौतियों का सामना कर रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थान का मार्गदर्शन और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने आईआईटी-आईएसएम से नए और स्थायी समाधान खोजने में अग्रणी भूमिका निभाने का आग्रह किया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए अनुसंधान एवं विकास और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के साथ-साथ पेटेंट संस्कृति को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। मुर्मू ने कहा कि विद्यार्थियों में समग्र सोच विकसित करने और जटिल समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने के लिए, शिक्षा में अंतरविषय दृष्टिकोण अपनाना भी बहुत जरूरी है।
उन्होंने युवाओं से कहा कि वे अपने ज्ञान को व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित ना रखें, बल्कि इसे सार्वजनिक भलाई का माध्यम बनाएं।
उन्होंने ‘आदिवासी विकास उत्कृष्टता केंद्र’ जैसी पहलों के माध्यम से आदिवासी युवाओं और वंचित महिलाओं को सशक्त करने के लिए आईआईटी-आईएसएम के प्रयासों की सराहना की।
दीक्षांत समारोह के दौरान मुर्मू ने कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले बी.टेक स्नातक प्रियांशु शर्मा को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक प्रदान किया। वर्ष 2024-25 बैच के कुल 1,880 छात्रों को विभिन्न विषयों में उपाधि (1,055 स्नातक और 711 स्नातकोत्तर) प्रदान की गईं। कुल 37 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 35 को रजत पदक प्राप्त हुए।
मुर्मू आईआईटी-आईएसएम के दीक्षांत समारोह में शामिल होने वालीं दूसरी राष्ट्रपति हैं। इसके पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 10 मई, 2014 को आयोजित इस संस्थान के 36वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दीक्षांत समारोह का विशेष महत्व है क्योंकि यह संस्थान के शताब्दी समारोह का एक अहम हिस्सा है, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए 100 वर्षों के अटूट समर्पण का प्रतीक है।’’
वर्ष 1926 में नौ दिसंबर को स्थापित इस संस्थान ने अपनी यात्रा भारतीय खान एवं अनुप्रयुक्त भूविज्ञान विद्यालय के रूप में शुरू की थी।
लंदन स्थित रॉयल स्कूल ऑफ माइंस की तर्ज पर इस संस्थान की स्थापना भारत के तेजी से बढ़ते खनन उद्योग के लिए उच्च कुशल पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के विशिष्ट उद्देश्य से की गई थी।
संस्थान की नींव इसके प्रथम प्रधानाचार्य डेविड पेनमैन के दूरदर्शी मार्गदर्शन में रखी गई थी और इसका औपचारिक उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था।
भाषा संतोष नरेश
नरेश