नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पार्टी के साथ बिगड़ते रिश्तों के बीच सोमवार को एक ‘एक्स’ उपयोगकर्ता के उस विश्लेषण को ‘विचारशील’ बताया, जिसने उनके और राहुल गांधी के बीच विरोधाभास के बारे में सोशल मीडिया मंच पर एक लंबा पोस्ट लिखा था।
‘एक्स’ उपयोगकर्ता ने कहा कि थरूर और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच विरोधाभास पार्टी के भीतर मौजूद दो वैचारिक प्रवृत्तियों को दर्शाता है।
उपयोगकर्ता ने कहा, ‘‘समस्या उनके सह-अस्तित्व में नहीं है। समस्या कांग्रेस की चुनने, एकीकृत करने या व्यस्थित ढंग से आगे क्रियान्वयन करने में असमर्थता है।’’
उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, थरूर ने कहा, ‘‘इस विचारशील विश्लेषण के लिए धन्यवाद। पार्टी में हमेशा एक से अधिक प्रवृत्ति रही है। आपका आकलन निष्पक्ष है और वर्तमान वास्तविकता की एक निश्चित धारणा को प्रतिबिंबित करता है।’’
‘एक्स’ उपयोगकर्ता ने अपने पोस्ट में यह भी कहा था कि थरूर मोटे तौर पर 1990 के दशक की कांग्रेस प्रवृत्ति को रेखांकति करते हैं जो शहरी स्वरूप वाली, संस्थागत रूप से उन्मुख और सुधार-संगत है।
पोस्ट में लिखा है, ‘‘यह स्वरूप आर्थिक परिवर्तन और अभिजात वर्ग के नेतृत्व वाले शासन के दौरान ऐतिहासिक परिस्थिति के रूप में उभरा।’
उसने लिखा, ‘थरूर अपने कारणों से (चाहे जो भी हो) पहले दिन से एक गौरवान्वित हिंदू थे और उन्होंने इसके बारे में ‘मैं हिंदू क्यों हूं’ नाम से एक पूरी किताब भी लिखी।’
इसमें कहा गया है, ‘मुख्यधारा की कांग्रेस के प्रतिक्रियाशील बहिष्कार के प्रयासों के कारण कई दक्षिणपंथी लोग अब इस पर ध्यान दे रहे हैं। अतीत के शहरी तकनीकी नेताओं की तरह, उन्हें इस नई कांग्रेस द्वारा दरकिनार किया जा रहा है।’
पोस्ट में कहा गया है कि कांग्रेस आज न तो एक विश्वसनीय शहरी सुधारवादी पार्टी है और न ही एक गंभीर ग्रामीण जनवादी पार्टी है।
एक्स उपयोगकर्ता ने दावा किया, ‘परिणामस्वरूप, इसकी पहचान अब मुख्य रूप से विपक्षी दल है। एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए, यह घातक है। शासन दर्शन के बिना विपक्ष राजनीतिक क्षय है। कांग्रेस की पहचान आज ‘विपक्ष’ बन गई है।’
भाषा हक प्रशांत
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