गुजारा भत्ता अधिकरण को संपत्ति स्वामित्व दावों पर निर्णय का अधिकार नहीं

गुजारा भत्ता अधिकरण को संपत्ति स्वामित्व दावों पर निर्णय का अधिकार नहीं

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  • Publish Date - July 25, 2025 / 11:08 PM IST,
    Updated On - July 25, 2025 / 11:08 PM IST

प्रयागराज, 25 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को गुजारा भत्ता उपलब्ध कराना और उनका कल्याण करना है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि गुजारा भत्ता अधिकरण को इस कानून के तहत संपत्ति स्वामित्व के दावों पर निर्णय का अधिकार नहीं है खासकर तीसरे पक्ष के साथ विवाद के मामले में और इस पर सुनवाई दीवानी अदालतों के समक्ष होनी चाहिए।

इशाक नाम के व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और न्यायमूर्ति डाक्टर वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा, इस कानून के तहत स्थापित गुजारा भत्ता अधिकरण को बच्चों के खिलाफ गुजारा भत्ता के लिए दावों से जुड़े आवेदनों पर विचार करने के लिए अधिकृत किया गया है।

मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता ने अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा की मांग की थी। उसकी तरफ से यह दलील दी गई कि उसे निजी पक्षकारों से खतरा है क्योंकि वह अपनी निजी संपत्ति पर एक गेट का निर्माण कराना चाहता है। वरिष्ठ नागरिक अधिनियम और नियम उन्हें ना केवल उनके बच्चों, बल्कि तीसरे पक्ष से भी सुरक्षा प्रदान करता है।

अदालत ने कहा कि इस अधिनियम की धारा 4 गुजारे के लिए अपना भरण पोषण करने में असमर्थ एक वरिष्ठ नागरिक को पात्र बनाती है। इस धारा के तहत एक वरिष्ठ नागरिक गुजारा भत्ता अधिकरण के समक्ष आवेदन कर सकता है

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की संपत्ति पर एक गेट के निर्माण में उसके पड़ोसी द्वारा बाधा खड़ा करना, वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के दायरे में नहीं आता। इस प्रकार से अदालत ने 16 जुलाई को दिए अपने निर्णय में यह रिट याचिका खारिज कर दी।

भाषा राजेंद्र शोभना

शोभना