High Court On Nagpur Violence। Image Credit: IBC24 File Image
नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत में लंबे समय से ठहरे एक शरणार्थी को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि भारत की उदारता का ज्यादा फायदा नहीं उठाना चाहिए। इतना ही नहीं उस शख्स को पड़ोसी देश पाकिस्तान और किसी खाड़ी देश जाने तक की सलाह दे डाली। दरअसल, शरणार्थी को कुछ समय पहले ही ‘लीव इंडिया नोटिस’ जारी किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह 10 सालों से भारत में रह रहा है। इसलिए उसे यहां से बाहर ना भेजा जाए।
बता दें कि यमन के नागरिक खालिद गोमेई मोहम्मद हसन भारत में तय अवधि से ज्यादा रह रहे थे और उन्होंने पुलिस की तरफ से जारी नोटिस को भी कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच कर रही थी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जजों ने कहा, कि ‘आप पाकिस्तान जा सकते हैं, जो पड़ोस में ही है या आप किसी भी खाड़ी देश में जा सकते हैं। भारत के उदार रवैये का गलत फायदा न उठाएं।
बता दें कि हसन के पास शरणार्थी कार्ड है। वह ऑस्ट्रेलिया जाना चाहता है। भारत अब उसे डिपोर्ट करने की तैयारी कर रहा है। इसी से बचने के लिए उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपनी याचिका में हसन ने कहा कि यमन सबसे खराब मानवीय संकट से गुजर रहा है और इसलिए वह भारत में बीते 10 सालों से रह रहा है। उन्होंने याचिका में कहा कि 45 लाख नागरिक विस्थापित हो गए हैं। हसन मार्च 2014 में स्टूडेंट वीजा पर भारत आए थे और 2015 में मेडिकल वीजा पर उनकी पत्नी भारत पहुंची थीं।
हसन का वीजा फरवरी 2017 में खत्म हो गया। वहीं, पत्नी का वीजा सितंबर 2015 में एक्सपायर हो गया था, जिसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ लीव इंडिया नोटिस जारी कर दिया। पुलिस ने उसे 14 दिन में भारत छोड़ने को कहा। वह हसन ने कम से कम ऑस्ट्रेलिया का वीजा मिलने तक डिपोर्टेशन से सुरक्षा की मांग की थी। कोर्ट ने कहा, ‘हम आपको सिर्फ 15 दिनों तक सुरक्षा दे सकते हैं और उससे ज्यादा नहीं।